अखाड़ों का इतिहास है सदियों पुराना, जानिए परंपरा और इसका महत्व

Maha Kumbha Mela 2025: अखाड़ा प्रणाली भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है. यह न केवल धर्म की सुरक्षा करती है, बल्कि समाज को एकजुट करने और उसे मार्गदर्शन प्रदान करने में भी एक केंद्रीय भूमिका निभाती है.

By Shaurya Punj | January 8, 2025 8:14 AM

Maha Kumbha Mela 2025, History of Akhadas: अखाड़ा, हिंदू धर्म में साधु-संतों का एक ऐसा समूह है जो धार्मिक और शारीरिक अनुशासन का समन्वय प्रस्तुत करता है. इसकी परंपरा की नींव 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा रखी गई थी. उस समय विदेशी आक्रमणों से हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए एक योद्धा वर्ग की आवश्यकता महसूस की गई. अखाड़ा प्रणाली भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक मानी जाती है. यह न केवल धर्म की रक्षा करती है, बल्कि समाज को एकजुट करने और मार्गदर्शन प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अखाड़े के साधु केवल कुंभ और महाकुंभ जैसे बड़े मेलों में ही बाहर आते हैं.

अखाड़ा शब्द का अर्थ

‘अखाड़ा’ का शाब्दिक अर्थ “कुश्ती का स्थान” है. आदि शंकराचार्य ने इसे एक संगठन के रूप में स्थापित किया, जहाँ साधुओं को शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा प्रदान की जाती थी. इन साधुओं का जीवन भौतिक इच्छाओं से मुक्त होता है, जिससे वे धर्म की रक्षा में अपनी पूरी क्षमता लगा सकते थे.

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आठवीं सदी में स्थापित हुए ये अखाड़े

यह कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में 13 अखाड़ों की स्थापना की थी. आज तक ये अखाड़े विद्यमान हैं. अन्य कुंभ मेलों में सभी अखाड़े एक साथ स्नान करते हैं, जबकि नासिक के कुंभ में वैष्णव अखाड़े नासिक में और शैव अखाड़े त्र्यंबकेश्वर में स्नान करते हैं. यह व्यवस्था पेशवा के काल में स्थापित की गई थी, जो सन् 1772 से निरंतर चल रही है.

प्रमुख रूप से 13 अखाड़े

भारत में प्रमुख रूप से 13 अखाड़ों की पहचान की गई है. ये सभी अखाड़े शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों से संबंधित हैं और इन्हें मान्यता प्राप्त है. इनमें से 7 अखाड़े शैव संन्यासी संप्रदाय के हैं, जबकि बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं. इसी प्रकार, उदासीन संप्रदाय के भी 3 अखाड़े हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन अखाड़ों का एक प्राचीन अस्तित्व और इतिहास है.

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