Mahabali Bhima: कैसे मिली थी भीम को चमत्कारिक गदा, यहां से जानें

Mahabali Bhima: महाभारत के काल में बलराम के पश्चात भीम को सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में देखा जाता था. श्रीकृष्ण के भाई बलराम ने भीम को गदा युद्ध की तकनीक सिखाई, साथ ही दुर्योधन को भी इस युद्ध की विधि का ज्ञान दिया. यहां हम यह स्पष्ट करेंगे कि भीम को गदा किस प्रकार प्राप्त हुई थी.

By Shaurya Punj | November 28, 2024 9:48 AM
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Mahabali Bhima: महाभारत के युग में बलराम के बाद भीम सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते थे. उनके समकालीन जरासंध को भी शारीरिक रूप से अत्यंत शक्तिशाली समझा जाता था. श्रीकृष्ण के भाई बलराम ने भीम को गदा युद्ध की कला सिखाई थी, साथ ही दुर्योधन को भी इस युद्ध की शिक्षा दी थी. जरासंध भी गदा युद्ध में निपुण था. उस समय बलराम, भीम, दुर्योधन और जरासंध के अलावा कोई अन्य योद्धा नहीं था जो गदायुद्ध में उनकी बराबरी कर सके. भीम गदाधारी थे और मल्ल युद्ध में भी उनकी महारत थी. उन्होंने अपनी इन दोनों विद्या का उपयोग करते हुए सबसे शक्तिशाली जरासंध का वध किया और महाभारत के समापन पर दुर्योधन का भी नाश किया.

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इनसे मिली थी भीम को चमत्कारिक गदा

महाभारत के मुताबिक भीम की गदा धरती पर पहली बार मय दानव को मिली थी. मय दानव को ये एक सरोवर में मिली थी. मय दानव को बिंदु सरोवर को यह गदा मिलने के बाद अपने महल ले आए थे. मय दानव वहीं थे, जिन्होंने इंद्रप्रस्थ में पांडवों के लिए चमत्कारी महल का निर्माण करवाया था. असुरों के वास्तुकार होने के बावजूद मय दानव श्रीकृष्ण को काफी मानते थे, क्योंकि उन्होंने एक बार उनकी जान करवाई थी. भगवान श्रीकृष्ण ने जब मय दानव के पास चमत्कारी गदा देखा तो उन्होंने उसे पांडु पुत्र भीम को इसे देने का आग्रह किया. मय दानव ने श्रीकृष्ण की आग्रह नहीं टाला और ये गदा भीम को सौंप दी. इसी गदा से भीम ने महाभारत का युद्ध लड़ा और इससे ही दुर्योधन की टांग तोड़ दी.

भीम के गदे को लेकर ये है मान्यता

मान्यता है कि इस गदे से धरती से एक बाद वार किया गया, जिससे एक बड़ा गड्ढ़ा बन गया. ये आज भी मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास है, जिसे भीम कुंड के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस गदे का वजन करीब 10,000 किलोग्राम के बराबर था, जो एक सामान्य गदा से काफी बड़ा था.

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