Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 99 देशों से धर्म प्रतिनिधि लेंगे भाग, कॉरिडोर बनने के बाद पहली बार विराजेंगे बाबा विश्वनाथ
Mahakumbh 2025: कॉरिडोर बनने के बाद महाकुंभ में पहली बार बाबा विश्वनाथ विराजेंगे. महाकुंभ मेला में पहुंचे श्रद्धालु बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही संगम तट पर बाबा के दरबार में भी चार प्रहर की आरती दर्शन कर सकेंगे.
Mahakumbh 2025: श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद पहली बार त्रिवेणी संगम पर काशीपुराधिपति के दर्शन होंगे. प्रयागराज में बसने वाली टेंट सिटी में श्री काशी विश्वनाथ की प्रतिकृति विराजमान करायी जायेगी. टेंट सिटी में देशभर से आने वाले साधु-संत और श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे. श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन के साथ ही रुद्राभिषेक की भी सुविधा मिलेगी. मंदिर न्यास ने भूमि आवंटन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में आने वाले सनातनी बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेंगे. बाबा का ज्योतिर्लिंग प्रतीक स्वरूप में स्थापित किया जायेगा.
बाबा के दरबार में होगी चार प्रहर की आरती
बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही संगम तट पर बाबा के दरबार में भी चार प्रहर की आरती के दर्शन होंगे. श्रद्धालु के लिए रुद्राभिषेक और अनुष्ठान के इंतजाम भी रहेंगे. प्रयाग के बाद श्रद्धालु और संत बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए बनारस आते हैं. सुगम दर्शन के काउंटर से श्रद्धालु अपनी सुविधानुसार दर्शन, आरती और अनुष्ठान की बुकिंग पहले ही करा सकेंगे. एसडीएम शंभू शरण ने बताया कि महाकुंभ में बाबा का दरबार सजेगा. भूमि आवंटन होने के बाद तैयारियां शुरू हो जायेंगी. धाम की तरह ही संगम के तट पर सजने वाले बाबा दरबार में श्रद्धालुओं को बाबा विश्वनाथ के दर्शन होंगे. मालूम हो कि 2001 महाकुंभ और 2019 के कुंभ में बाबा विश्वनाथ के लिए जमीन आवंटित की गयी थी.
महाकुंभ में ज्योतिष पीठाधीश्वर के शिविर में होगी गो संसद
महाकुंभ में ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में 10 जनवरी से धर्म संसद का आयोजन होगा, जिसका प्रारंभ 10 और 11 जनवरी को गो-संसद से होगा. उसमें 543 संसदीय क्षेत्रों से गो-प्रतिनिधि (गो सांसद) शामिल होंगे. श्री शंकराचार्य शिविर, ज्योतिर्मठ, बद्रिकाश्रम के प्रभारी मुकुंदानंद ब्रह्मचारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत में मूल नस्ल की देशी गौ माता पर आज संकट है और इस गो-प्रधान देश में मात्र 53 नस्ल की ही गौ माता आज बची हुई हैं. मुकुंदानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि 27 दिनों तक चलने वाली धर्म संसद के लिए 27 विषय निर्धारित किये हैं, जिन पर प्रतिदिन चर्चा होगी. गौ माता की रक्षा और हिंदुओं के कल्याण के लिए महाकुंभ में पहली बार 324 कुंडीय महायज्ञ का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसे 1100 विद्वान पुरोहित संपन्न करेंगे.
99 देशों से धर्म प्रतिनिधि लेंगे भाग
इस धर्म संसद में 170 विद्वान संत, 99 देशों से धर्म प्रतिनिधि, 108 धर्माचार्य, चार शंकराचार्य या उनके पीठों के प्रतिनिधि, 51 शक्तिपीठों के प्रतिनिधि, पांच वैष्णव आचार्यों के प्रतिनिधि, 12 धर्म संस्थाओं के प्रतिनिधि, 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. पूज्य शंकराचार्य जी की महाकुंभ प्रवेश यात्रा नौ जनवरी को होगी.
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महाकुंभ का महत्व
- महाकुंभ मेला आत्मशुद्धि और आत्मज्ञान का अवसर प्रदान करता है.
- महाकुंभ मेला हिंदू धर्म की एकता और समरसता को प्रदर्शित करता है.
- महाकुंभ मेला विभिन्न संप्रदायों और परंपराओं के लोगों को एक साथ लाता है.
- महाकुंभ मेला प्राचीन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में मदद करता है.
- महाकुंभ मेला व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षरता को बढ़ावा देता है.