15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इंग्लैण्ड के जैकब सनातन धर्म ग्रहण कर बन चुके हैं जय किशन सरस्वती, महाकुम्भ में पहली बार किया अमृत स्नान

सानतन संस्कृति की आध्यात्मिक शक्ति से अभिभूत हुए इंगलैण्ड के रहने वाले जैकब, अब संन्यास ग्रहण कर जय किशन सरस्वती बन चुके हैं. जैकब ने पहली बार प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ में अमृत स्नान किया.

Mahakumbh 2025: प्रयागराज के महाकुम्भ में संगम तट पर सनातन संस्कृति की अनुपम छठा बिखरी हुई है. एक ओर साधु, संन्यासी, संत, कथावाचक ज्ञान और वैराग्य की गंगा बहा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पीढ़ियों से सनातन पंरपरा के वाहक करोंड़ों श्रद्धालु मोक्ष की कामना से संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. देश-दुनिया के कोने-कोने से आये साधु, संत और श्रद्धालु भारती की सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ सनातन आस्था की आध्यात्मिक ऊर्जा से विश्व भर का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर रहे हैं. सानतन संस्कृति की इसी आध्यात्मिक शक्ति से अभिभूत हुए इंगलैण्ड के रहने वाले जैकब, अब संन्यास ग्रहण कर जय किशन सरस्वती बन चुके हैं.

सनातन धर्म की आध्यात्मिक शक्ति से प्रभावित होकर ग्रहण किया संन्यास

महाकुम्भ में भारत देश और सनातन संस्कृति से प्रभावित होकर फ्रांस, इंग्लैण्ड, बेल्जियम, कनाडा, इक्वाडोर, ब्रजील जाने किस-किस देश से पर्यटक प्रयागराज में संगम तट की ओर खिंचे चले आ रहे हैं. उन्हीं में से एक इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर के रहने वाले जैकब, सनातन संस्कृति और उसकी आध्यात्मिक शक्ति से इतने प्रभावित हुए की पूरी तरह से उसके रंग में रंग कर संन्यास तक ग्रहण कर चुके हैं. जैकब ने बताया कि वो लगभग 10 वर्षों से भारत में ही रह रहे हैं. उन्होंने भारत में काशी, हरिद्वार, ऋषिकेष, मथुरा, वृंदावन, उज्जैन समेत पुरी जैसी धार्मिक नगरियों की यात्रा की है. प्रयागराज और यहां के महाकुम्भ में वो पहली बार आये हैं. जैकब ने बताया कि उन्होंने हरिद्वार के महाकुम्भ में जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर उमाकान्तानंद से दीक्षा ले कर संन्यास ग्रहण किया था. तब से वो जय किशन सरस्वती बन गये हैं.

Also Read: Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले के हर सेक्टर में तैनात किए गए फूड सेफ्टी ऑफिसर, होटल-ढाबों पर बन रहे भोजन की कर रहे जांच

महाकुम्भ के अमृत स्नान जैसी आध्यात्मिक अनुभूति पहले नहीं हुई

जय किशन सरस्वती ने आगे बातचीत में बताया कि उन्होंने इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर से बैचलर ऑफ आर्टस की पढ़ाई की है. उसके बाद वो इंग्लैण्ड की क्रियेटिव एजेंसी में काम करते थे. शुरू से ही वो भारत की संस्कृति और यहां की आध्यात्मिकता से प्रभावित थे. उन्होंने भागवत गीता का अध्ययन किया और हिंदी तथा संस्कृत भाषा भी सीखी. 2013 में वो काशी देखने भारत आये थे तब से कुछ साल भारत में ही जगह-जगह भ्रमण करते रहे. एक समय उनका सनातन संस्कृति के प्रति झुकाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने स्वामी उमाकान्तानंद जी से दीक्षा ग्रहण कर संन्यास अपना लिया. तब से वो स्वामी उमाकान्तानंद जी के साथ ही प्रवास और भ्रमण करते हैं. प्रयागराज के महाकुम्भ में पहली बार उन्होंने जूना अखाड़े के साथ संगम में अमृत स्नान किया. जय किशन सरस्वती का कहना है कि उन्हे जीवन में इससे पहले कभी ऐसी आध्यात्मिक अनुभूति नहीं हुई.

Also Read: Mahakumbh 2025: महाकुम्भ में शुरू हुआ ब्रह्मचर्य दीक्षा समारोह, अध्ययन के बाद समाज में जाकर धर्म का प्रचार करेंगे ब्रह्मचारी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें