Mahakumbh 2025: सपा राज के महाकुंभ में क्यों मची थी भगदड़, जब शाही स्नान के दिन हुई थी 36 लोगों की मौत, जानें कौन था जिम्मेदार
Mahakumbh 2025: सपा राज के महाकुंभ 2013 में भगदड़ क्यों और कैसे मची थी. जिसमें 36 लोगों की मौत हो गयी थी. आइए जानते है इस घटनाक्रम के बारे में...
Mahakumbh 2025: महाकुंभ आस्था, संस्कृति और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का संगम है. महाकुंभ का आरंभ इस बार 13 जनवरी से है. महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार लगता है. इससे पहले प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन 2013 में हुआ था. साल 2013 में सपा की सरकार थी. उस वक्त महाकुंभ मेले के दौरान 36 लोग मर गए थे, इसके साथ ही कई लोग घायल थे. यह घटना 10 फरवरी 2013 को प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़ मचने से हुई थी, जिसमें 36 लोगों की जान चली गई. लगभग 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे. जांच में पता चला था कि रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ के चलते फुटओवर ब्रिज के एक हिस्से की रेलिंग टूटने से दुर्घटना हुई थी.
भगदड़ मचने से हुई थी 36 लोगों की मौत
अधिकारियों का कहना था कि फुटओवर ब्रिज पर दोनों ओर से एक साथ लोगों के चढ़ने के कारण धक्का लगने से कई लोग गिर गए थे, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई. वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि भीड़ पर पुलिस की तरफ से लाठी चलाई गई, जिससे भगदड़ मची और भगदड़ के चलते फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूट गई. जिससे कई लोगों की मौत हुई थी. यूपी सरकार के मेला मंत्री आज़म खान ने 36 लोगों की मरने की पुष्टि की थी. हालांकि हादसे की वजह को लेकर कई खबरें आईं थी. उस वक्त यह भी कहा जा रहा था कि प्लेटफॉर्म और फुट ओवर ब्रिज की फर्श पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु सोए हुए थे, जिससे लोगों को आने जाने में दिक्कतें हो रही थी, लेकिन भीड़ का दबाव जब बढ़ा तो फुट ओवर ब्रिज की रेलिंट टूट गई. जिसके बाद भगदड़ मच गयी.
घटना के बाद आजम खान ने पद से दिया था इस्तीफा
आजम खान ने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कुंभ मेला प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया था. आजम खान ने तब लखनऊ में मीडिया से बातचीत में कहा था, कि यह घटना कुंभ मेला परिसर के बाहर घटी है, लेकिन मैं इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और कुंभ मेला के प्रभारी पद से इस्तीफा देता हूं. हालांकि इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और तब की यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहे पवन बंसल ने एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे. दुर्घटना के तुरंत बाद सीएम अखिलेश का बयान आया था कि, ‘हम सभी जानते हैं कि यह घटना किसकी चूक से हुई है.’
घटना का कौन था जिम्मेदार?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट बैठक में महाकुंभ 2013 के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे की जांच के लिए बनाए गए एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखने का फैसला लिया गया. इसके बाद एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई. आयोग ने जांच में रेल प्रशासन द्वारा लापरवाही पूर्वक भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं को घोषित किया जाना प्रमुख कारणों में से एक माना था. जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि रेल प्रशासन द्वारा चिकित्सक और चिकित्सीय सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई थी, इसके लिए तत्कालीन डीआरएम हरिंद्र राव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी जि्म्मेदार थे. घटना के वक्त राजकीय रेलवे पुलिस के पास न तो कोई एंबुलेंस था और ना ही कोई चिकित्सक नियुक्त था. आरपीएफ जवानों द्वारा पॉलीकार्बोनेट के डंडों का प्रयोग किए जाने से कई यात्रियों को चोटें आईं थी. इन डंडों का प्रयोग यात्रियों पर किया जाना ही दुर्घटना का कारण बना. आयोग ने यह भी बताया था कि दुर्घटना के बाद रेल अधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया था.