15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में किस घाट पर नहाने का है सबसे अधिक महत्व

Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ के अवसर पर देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते हैं. सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार, कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान करना और पूजा-अर्चना करना महत्वपूर्ण माना जाता है.

Mahakumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. महाकुंभ के समय पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है. हालांकि, महाकुंभ के प्रत्येक दिन नदी में स्नान करना पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन कुछ विशेष तिथियों पर स्नान को शाही स्नान कहा जाता है. इस अवसर पर देश-विदेश से लोग आते हैं और पुण्य का लाभ उठाते हैं.

कब से कब तक रहेगा महाकुंभ मेला 2025

13 जनवरी से शुरु होकर यह आयोजन 26 जनवरी महाशिवरात्रि के दिन तक रहेगा.

महाकुंभ में घाटों का महत्व

प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन के कारण यह शहर हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है. यहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का संगम होता है, जिससे प्रयागराज के घाटों का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. यदि आप कुंभ मेले में जाने की योजना बना रहे हैं, तो इन प्रसिद्ध घाटों पर अवश्य समय बिताएं और किसी एक घाट पर स्नान कर पुण्य अर्जित करें.

महाकुंभ मेला 2025 से जुड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

दशाश्वमेध घाट

प्रयागराज का दशाश्वमेध घाट धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इस घाट पर भगवान ब्रह्मा ने दस अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था. महाकुंभ के समय, यह घाट गंगा आरती और भजन-कीर्तन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. शाम को गंगा आरती के बाद, यहां आप स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं.

हांडी फोड़ घाट

प्रयागराज के प्राचीन घाटों में से एक, हांडीफोड़ घाट सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है. यह घाट उन लोगों के लिए आदर्श है जो शांत लहरों और नदियों की मधुर ध्वनि का आनंद लेना चाहते हैं. यहां का वातावरण इसे और भी आकर्षक बनाता है.

बलुआ घाट

बलुआ घाट साधु-संतों की एकत्रितता का स्थल है. यहां का माहौल ध्यान और योग के लिए अनुकूल है, जिससे साधु-संत अपने प्रवचन और ध्यान के लिए इसे पसंद करते हैं. यह घाट भीड़-भाड़ से दूर स्थित है, जो इसे और भी विशेष बनाता है.

संगम घाट

महाकुंभ के समय संगम घाट आस्था और आकर्षण का प्रमुख स्थल माना जाता है. यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जो मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां स्नान करना यात्रियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है. इसके अलावा, नाव की सवारी के माध्यम से त्रिवेणी संगम का अद्भुत दृश्य देखने का अवसर भी मिलता है.

केदार घाट

कुंभ मेले के दौरान केदार घाट पर स्नान और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. शिव भक्तों के लिए यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है.

क्या है कुंभ मेला

कुम्भ मेला हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में आयोजित होता है. इसके चार प्रमुख स्थल हैं – प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक. इस बार यह महाकुंभ के रूप में प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है. कुम्भ मेले का महत्व कुम्भ स्नान के कारण और भी बढ़ जाता है. प्रयागराज को तीन नदियों के संगम स्थल के रूप में जाना जाता है.

इसलिए, यहां स्नान को संगम स्नान कहा जाता है. गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के तट पर स्नान करके लोग धार्मिक परंपराओं के अनुसार पुण्य कार्य करते हैं. इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, ध्यान और योग का आयोजन भी होता है, जो इस मेले की विशेषता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें