Mahalaxmi Vrat 2020 : आज महालक्ष्मी व्रत है. महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत राधा अष्टमी यानी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है. यह व्रत सोलह दिनों तक चलता है. फिर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी पितृपक्ष के आठवें श्राद्ध के दिन महालक्ष्मी व्रत को पूर्ण किया जाता है. इस साल महालक्ष्मी व्रत आज 10 सितंबर दिन बृहस्पतिवार को है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने घर में धन-धान्य और सुख-संपत्ति चाहता है उसे महालक्ष्मी व्रत जरूर करना चाहिए.
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कहते हैं कि गज लक्ष्मी यानी हाथी पर बैठी महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. अश्विन मास में कृष्ण अष्टमी की तिथि को महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है. इस दिन अगर माता महालक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा-आराधना की जाए तो यह और भी अधिक फलदायी होता है. महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए.
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि, मंजुल भाषिणी वेदनुते।।
पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्।।1।।
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनी, वैदिक रूपिणि वेदमये।
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।2।।
जयवरवर्षिणी वैष्णवी भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।3।।
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये।
रथगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्।।4।।
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्।।5।।
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमये।
अनुदिनमर्चित कुन्कुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्।।6।।
प्रणत सुरेश्वर भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्।।7।।
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि, दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये।
घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम, शंख निनाद सुवाद्यनुते।।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम्।।8।।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी।।
शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय:।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्।। ।।
इति श्रीअष्टलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
News posted by : Radheshyam kushwaha