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Mahalaya 2022 Date: कब है महालया? डेट, शुभ मुहूर्त, परंपरा, महत्व और इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा जानें

Mahalaya 2022 Date: महालया के दिन से ही 10 दिवसीय वार्षिक दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) उत्सव की शुरुआत होती है. महालया (Mahalaya 2022) को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. जानें इस बार महालया कब है?

Mahalaya 2022 Date: अश्विन के महीने में पितृ पक्ष या पितृपक्ष यानी पितरों को समर्पित 16 दिन की लंबी अवधि होती है और इस अवधि या पितृ पक्ष का अंतिम दिन महालया के नाम से जाना जाता है. यह दिन अमावस्या (Amavasya) को मनाया जाता है, जो कृष्ण पक्ष के अंत का प्रतीक है. हिंदुओं का मानना ​है कि हर साल इसी दिन देवी दुर्गा (Devi Durga) धरती पर आती हैं. धार्मिक रूप से दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन से ही 10-दिवसीय वार्षिक दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) उत्सव की शुरुआत होती है. महालया (Mahalaya 2022) को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष महालया 25 सितंबर को है.

महालया अनुष्ठान (Mahalaya Rituals)

पितृपक्ष का अंतिम दिन पितरों को समर्पित होता है. इस दिन लोग तर्पण करते हैं, जिसमें पूर्वजों या पितरों की आत्मा की शांति के निमित जरूरी कार्य किये जाते हैं. पश्चिम बंगाल में महालया का विशेष महत्व है. इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं और अपने घरों में देवी दुर्गा के स्वागत की पूरी तैयारी करते हैं. महालय पर कहीं-कहीं लोग महिषासुरमर्दिनी की रचना भी सुनते या पढ़ते हैं.

महालया 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त (Mahalaya 2022 Tithi, Shubh Muhurat)

इस बार महालया 25 सितंबर को है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से शुरू होकर 5:23 बजे तक जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक है. गोधुली मुहूर्त के आने का समय शाम 6:02 बजे से शाम 6:26 बजे तक है और विजय मुहूर्त का समय दोपहर 2:13 बजे से 3:01 बजे तक है.

महालया का महत्व (Mahalaya Significance)

पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के अलावा, यह दिन सत्य और साहस की शक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत को उजागर करने के लिए मनाया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि देवी दुर्गा सभी सर्वोच्च देवताओं की शक्तियों द्वारा महिषासुर नाम के एक राक्षस को मारने के लिए अवतरित हुई थीं.

महालया का इतिहास

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने अत्‍याचारी राक्षस महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया. महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्‍य उसका वध नहीं कर पाएगा. ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. देवता युद्ध हार गए और देवलोकर पर महिषासुर का राज हो गया. महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. शस्‍त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया. दरसअल, महालया मां दुर्गा के धरती पर आगमन का द्योतक है. मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है.

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शारदीय नवरात्रि 2022 की तिथियां, दिन (Sharadiya Navratri 2022 Dates, Days)

नवरात्रि प्रथम दिन: प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना – 26 सितंबर 2022, दिन सोमवार

नवरात्रि दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी पूजा – 27 सितंबर 2022, दिन मंगलवार

नवरात्रि तीसरा दिन: मां चंद्रघण्टा पूजा – 28 सितंबर 2022 दिन, बुधवार

नवरात्रि चौथा दिन: मां कुष्माण्डा पूजा – 29 सितंबर 2022 दिन, गुरुवार

नवरात्रि पांचवां दिन: मां स्कंदमाता पूजा – 30 सितंबर 2022 दिन, शुक्रवार

नवरात्रि छठा दिन: मां कात्यायनी पूजा -01 अक्टूबर 2022 दिन, शनिवार

नवरात्रि सातवां दिन: मां कालरात्री पूजा – 02 अक्टूबर 2022 दिन, रविवार

नवरात्रि आठवां दिन (अष्टमी तिथि): मां महागौरी पूजा, 03 अक्टूबर 2022, दिन सोमवार (दुर्गा महाष्टमी)

नवरात्रि नवां दिन (नवमी तिथि): मां सिद्धरात्री पूजा, दुर्गा महानवमी पूजा – 04 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार

विजया दशमी तिथि (दशहरा): दुर्गा विसर्जन- 05 अक्टूबर 2022, दिन बुधवार

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