Mahashivaratri 2022: फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष प्रदोष तिथि के अवसर पर दिन के करीब 10:30 बजे से पंचशूल की पूजा प्रारंभ हुई. पूजा का आयोजन मंदिर ईस्टेट की ओर से राधा-कृष्ण मंदिर में आयोजित किया गया. इस विशेष पूजा को आचार्य गुलाब पंडित एवं पुजारी सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने तांत्रिक विधि से पूजा शुरू की. इस पूजा में बाबा एवं मां पार्वती के अलावा परिसर में स्थित सभी मंदिरों के शिखर से उतारे गये पंचशूल की विशेष सफाई के बाद पूजा स्थल पर रखा गया. तांत्रिक विधि से इस पूजा में करीब दो घंटे का समय लगा.
तांत्रिक विधि के इस पूजा में फूल, बेलपत्र, नवैद्य के अलावा बीज मंत्रोचरण कर इस विशेष पूजा को संपन्न किया गया. वहीं, चली आ रही परंपरा के अनुसार कागज में लिखे खास मंत्र को मंदिर दीवन सोना सिन्हा ने पंचशूल में बांधा. उसके बाद पूजा में नवैद्य अर्पित कर महाआरती का आयोजन कर पूजा को संपन्न किया गया. वहीं, पूजा में उपचारक के तौर पर मौजूद भक्तिनाथ फलहारी ने पूजा की सारी व्यवस्था को व्यवस्थित कर पूजा संपन्न करने में सराहनीय भूमिका निभाई. पूजा संपन्न होते ही शिव शंकर भंडारी के नेतृत्व में गठित भंडारियों की टीम ने गणेश मंदिर से पंचशूल को शिखर में लगाने का काम शुरू किया.
पंचशूल चढ़ने के बाद आचार्य ने सरदार पंडा को गठबंधन के लिए संकल्प कराया. हाथ में गठबंधन रखकर ओझा जी ने विश्व कल्याणार्थ के लिए संकल्प कर भंडारी के हाथ में सौंपते हुए बाबा के शिखर में बांधने का आदेश दिया. उसके बाद मंदिर महंत स्वयं बाबा मंदिर से चलकर पार्वती मंदिर तक हाथ में गठबंधन लेकर चले एवं माता के शिखर पर गठबंधन बंधते ही आम लोगों के द्वारा गठबंधन चढ़ाने की परंपरा को शुरू कराया. मौके पर प्रबंधक रमेश परिहस्त, सरदार पंडा के प्रतिनिधि बाबा झा सहित दर्जनों लोग मौजूद थे.
रिपोर्ट : संजीव झा, देवघर.