Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ को जरूर चढ़ाएं ये चीजें, शिव जी पूरी करेंगे हर कामना

Mahashivratri 2022: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन देश में अलग-अलग जगहों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का भी विशेष विधान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2022 5:55 PM
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हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व काफी महत्व होता है. आपको बता दें कि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन देश में अलग-अलग जगहों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का भी विशेष विधान है.

महाशिवरात्रि 2022, पूजा मुहूर्त, पारण का समय जान लें

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.

पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.

दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.

तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.

चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.

पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है.

महादेव को अर्पित करें ये चीजें

शमी के पत्ते

कहते हैं कि भगवान शिव को शमी की पत्तियां बहुत प्रिय हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन भगवान को अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही हर कष्ट से छुटकारा मिलता है. साथ ही शनि के प्रकोप से भी बच सकते हैं. माना जाता है कि तांबे के लोटे में पानी लेकर काले तिल मिलाएं और शिवलिंग पर चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. इससे शनि के दोष दूर हो जाते हैं.

अपामार्ग के पत्ते

भगवान शिव को अपामार्ग के पत्ते चढ़ाने से सुख-समृद्धि के साथ संतान की प्राप्ति होती हैं. इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पीपल के पत्ते

पीपल के पत्तों को विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं. अगर आपको कहीं भी बेलपत्र नहीं मिल रही हैं, तो आप पीपल के पत्ते चढ़ा सकते हैं. ये भी महादेव को अति प्रिय है.

धतूरा

भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए धतूरा का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. धतूरे के साथ ही आक को चढ़ाने का प्रचलन है.

भांग

भगवान शिव को भांग भी काफी प्रिय है. इसको लेकर पुराणों में कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान महादेव से गले में विष धारण कर लिया था. यह विष इतना ज्यादा गर्म था कि भगवान शिव को गर्मी लगने लगी, जिसके उपरांत भगवान शिव ने भांग का सेवन किया. चूंकि भांग की तासीर ठंडी होती है. इस दिन कुछ भक्त ठंडाई का भी सेवन करते हैं, जिसमें भांग की मात्रा होती है.

दूर्वा

पुराणों के अनुसार दुर्वा में अमृत का वास माना जाता है. इसलिए शिवलिंग में दुर्वा घास जरूर चढ़ाना चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होकर लंबी आयु का भी वरदान देते हैं. वैसे भी हिंदू सनातन पूजा पद्धित में दुर्वा का अपना अलग विशिष्ट स्थान है.

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