Mahashivratri 2023 Puja Vidhi Live Updates: महाशिवरात्रि पूजा की आसान विधि, मुहूर्त मंत्र समेत डिटेल जानें
Mahashivratri 2023 Puja Vidhi And Muhurat Live Updates: महाशिवरात्रि पर्व आज 18 फरवरी को मनाया जा रहा. इस दिन शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होती है. इस बार महाशिवरात्रि का दिन बड़ा ही खास है क्योंकि यह शनिवार के दिन है और उस दिन शनि प्रदोष का व्रत भी होगा. यहां जानें शिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त से जुड़ी हर अपडेट
मुख्य बातें
Mahashivratri 2023 Puja Vidhi And Muhurat Live Updates: महाशिवरात्रि पर्व आज 18 फरवरी को मनाया जा रहा. इस दिन शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होती है. इस बार महाशिवरात्रि का दिन बड़ा ही खास है क्योंकि यह शनिवार के दिन है और उस दिन शनि प्रदोष का व्रत भी होगा. यहां जानें शिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त से जुड़ी हर अपडेट
लाइव अपडेट
भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए करें इन मंत्राें का जाप
ॐ नमो भगवते रुद्राय
इस मंत्र का जाप भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए आपको इसका पाठ करना चाहिए. ये मंत्र आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करता है.
महाशिवरात्रि 2023 शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए करती हैं पूजा
ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही साथ कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इसदिन व्रत रखती हैं.
मनोकामना पूर्ति के लिए इस तरह से चढ़ाएं बिल्व पत्र
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बिल्वपत्र के ऊपर चंदन या अष्टगंध से "ॐ" या फिर शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" लिखकर अर्पित करना चाहिए।माना जाता है कि इससे व्यक्ति की मुश्किल इच्छाएं भी पूरी हो जाती है. भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
शिव जी को बेलपत्र चढ़ाते समय इन बाताें का रखें ध्यान
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए और उसपर बिल्वपत्र अवश्य चढ़ाने चाहिए. यदि आपको शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाना है तो एक दिन पहले ही लाकर गंगाजल में डालकर रख देना चाहिण्. बिल्वपत्र अर्पित करने से पहले भलि-भांति देख लेना चाहिए कि वह दूषित या कहीं से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए. बिल्वपत्र हमेशा पूर्ण होना चाहिए. तीन पत्ती से कम यानि खंडित बिल्वपत्र मान्य नहीं होता है.
जपें ये शिव पंचाक्षर स्तोत्र
शिव पंचाक्षर श्लोक 1: नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय. नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जिनके कंठ मे सांपों का माला है, जो तीन नेत्रों वाले हैं. भस्म से जिनका अनुलेपन हुआ, दिशांए जिनके वस्त्र है. उस महेश्वर 'न' कार स्वरूप शिव को हार्दिक नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 2: मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय. मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: जिस शिव की अर्चना गंगाजल और चन्दन से हुई. जिनकी पूजा मन्दार के फूल व अन्य पुष्पों से हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर 'म' स्वरूप भोले शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 3: शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय. श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो कल्याणकारी है. पार्वती माता को प्रसन्न करने के लिए खुद सूर्य स्वरूप हैं. राजा दक्ष के यज्ञ के जो नाशक हैं, जिनकी झंडे में बैल की निशानी है, उन शोभाशाली श्री नीलकण्ठ 'शि' कार स्वरूप भोल शिव को नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 4: वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय. चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: असुर से लेकर वशिष्ठ, अगस्त्य व गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने तथा इंद्र देव ने भी जिनके आगे मस्तक झुकाए है, शिव की पूजा की है. जिनके चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जैसे प्रलयकारी नेत्र हैं. उन 'व' कार स्वरूप शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 5: यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय. दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो यक्षरूप धारण करने वाले हैं, जो जटाधारी, व जिनके हाथ में उनका पिनाक नामक धनुष है. जो दिव्य है, सनातन पुरुष हैं. उन दिगम्बर शिव के 'य' कार स्वरूप को नमस्कार है.
महाशिवरात्रि पूजा आसान विधि
सुबह स्नानादि करके घर में अथवा मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें
इस दौरान ओम् नमः शिवाय का जाप करते रहें
आज शिवलिंग पर जल व दूध से अभिषेक जरूर करें
पूरे दिन सच बोलें, सात्विक भोजन करें और विवादों से दूर रहें,
रात्रि को सामूहिक रूप घर या देवालय में भगवान शिव का गुणगान करें
रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, महा रुद्राभिषेक, भजन व गीत के साथ आप रात्रि जागरण भी कर सकते हैं
अगले दिन सही मुहूर्त पर व्रत का पारण करें
महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा
सबसे पहले प्रथम प्रहर में पूजा करने के लिए आपको शिवलिंग के समक्ष संकल्प लेना होगा.
इसके बाद शादी का अनुष्ठान आरंभ करना होगा.
फिर बाबा को दूध, दही, मधु, गंगाजल, घी, तील, जौ और अक्षत अर्पित करने होंगे.
मिट्टी के घड़े में रखे जल से बाबा को स्नान कराएं
फिर उनपर गुलाब जल व इत्र चढ़ाएं
फिर अक्षत, बेलफल, श्रीफल, आंवला, हर्रे, धतूरा का पुष्प आदि चढ़ाएं
अब बाबा को वस्त्र अर्पण करने के उपरांत मां पार्वती को गौरीपट पर शृंगार के लिए साड़ी समेत अन्य सामग्री अर्पण करें.
साथ ही साथ बिल्वपत्र से गौरीपट पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. इस तरह एक प्रहर की पूजा संपन्न होती है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
लंबी उम्र बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. असमय मृत्यु को रोकने के लिए भी इसे एक उपाय माना जाता है. ये मंत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. इसका मतलब ये भी है कि आप भगवान शिव से आपको मोह और मृत्यु से मुक्त करने के लिए कह रहे हैं.
महाशिवरात्रि पूजा शुभ मुहूर्त इतने बजे से
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त 2023
महाशिवरात्रि की निशिता काल पूजा मुहूर्त 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक है. महाशिवरात्रि पर प्रात:काल से ही शिव पूजा होती है, लेकिन 18 फरवरी को सुबह 08:22 बजे से 09:46 बजे तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. लाभ उन्नति मुहूर्त दोपहर 02:00 बजे से दोपहर 03:24 बजे तक है. अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 03:24 बजे से शाम 04:49 बजे तक है. दिन में आप इन मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.
रुद्राभिषेक प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य व उनका फल
1. जलसे रुद्राभिषेक -- वृष्टि होती है
2. कुशोदक जल से -- समस्त प्रकार की व्याधि की शांति
3. दही से अभिषेक -- पशु प्राप्ति होती है
4. इक्षु रस -- लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए
5. मधु (शहद)-- धन प्राप्ति के लिए यक्ष्मारोग (तपेदिक)
6. घृत से अभिषेक व तीर्थ जल से भी -- मोक्ष प्राप्ति के लिए.
7. दूध से अभिषेक -- प्रमेह रोग के विनाश के लिए -पुत्र प्राप्त होता है .
8. जल की की धारा भगवान शिव को अति प्रिय है अत: ज्वर के कोपो को शांत करने के लिए जल धरा से अभिषेक करना चाहिए.
9. सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु का विनाश होता है.यह अभिषेक विवाद मकदमे सम्पति विवाद न्यालय में विवाद को दूर करते है.
10.शक्कर मिले जल से पुत्र की प्राप्ति होती है .
11. इतर मिले जल से अभिषेक करने से शारीर की बीमारी नष्ट होती है .
12. दूध से मिले काले तिल से अभिषेक करने से भगवन शिव का आधार इष्णन करने से सा रोग व शत्रु पर विजय प्राप्त होती है .
13.समस्त प्रकार के प्रकृतिक रसो से अभिषेक हो सकता है .
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
चतुर्थ प्रहर
प्रात: 3 बजकर 52 मिनट से सुबह 7 बज कर 1 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं सद्योजाताय नमः:
उपाय : शिवलिंग को शहद चढ़ाएं
फल : अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
तृतीय प्रहर
अर्धरात्रि 12 बजकर 42 मिनट से प्रात: 3 बजकर 51 मिनट तक (19 फरवरी)
मंत्र : 'ॐ ह्रीं वामदेवाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को घी चढ़ाएं
फल : धनलक्ष्मी आकर्षित होगी, नौकरी और कारोबार में तरक्की मिलेगी.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
द्वितीय प्रहर
रात्रि 9 बजकर 31 मिनट से अर्धरात्रि 12 बजकर 41 मिनट तक (19 फरवरी)
मंत्र : 'ॐ ह्रीं अघोराय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दही चढ़ाएं
फल : संतान सुख और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
18 फरवरी 2023
प्रथम प्रहर
शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं ईशानाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दूध चढ़ाएं
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
ये मंत्र हमारे जीवन से दरिद्रता को दूर करता है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
कर्पूरगौरं करुणावतारं
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए भगवान शिव के इस मंत्र का जाप किया जाता है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
लंबी उम्र बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. असमय मृत्यु को रोकने के लिए भी इसे एक उपाय माना जाता है. ये मंत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. इसका मतलब ये भी है कि आप भगवान शिव से आपको मोह और मृत्यु से मुक्त करने के लिए कह रहे हैं.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
जब किसी को एकाग्र होने में कठिनाई होती है, तो वह एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप कर सकता है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ नमो भगवते रुद्राय
इस मंत्र का जाप भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए आपको इसका पाठ करना चाहिए. ये मंत्र आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करता है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ नमः शिवाय
इस मंत्र का जाप मन से भय को दूर करने के लिए किया जाता है. ये अपने आप में एक शुद्ध कंपन पैदा करता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस मंत्र का दिन में 108 बार जाप करते हैं तो आप अपनी आत्मा को सभी पापों से मुक्त कर सकते हैं. ये मंत्र आपको शांत रहने में भी मदद करता है.
महाशिवरात्रि 2023 की तारीख
पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 18 फरवरी दिन शनिवार को 08 बजकर 2 मिनट से हो रहा है. चतुर्दशी तिथि का समापन अगले दिन 19 फरवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि के रुप में देश भर में हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस साल महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ संयोग बन रहें हैं क्योंकि इस बार महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष व्रत भी है.
पूजा से पहले जानें शिव पूजन की सही विधि
महाशिवरात्रि पूजा रात भर में एक या चार बार की जाती है. यदि पूजा एक बार की जा रही हो तो चंदन के लेप, दही, घी, शहद, चीनी और गुलाब जल से की जा सकती है. यदि चार बार किया जा रहा हो तो पहले प्रहर में जल अभिषेक करना चाहिए. दूसरे प्रहर में अभिषेक करने के लिए दही का प्रयोग करना चाहिए. तीसरे और चौथे प्रहर में क्रमशः घी और शहद का प्रयोग करना चाहिए.
Mahashivratri Subh Mahurat
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
महाशिवरात्रि के दिन हुआ था शिव-पार्वती का विवाह
महाशिवरात्रि की पूरी रात शिवभक्त भगवान शिव की अराधना करते हैं. शिवजी की शादी का उत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी. इसी दिन शिवजी ने अपना वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.
Mahashivratri Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पूजन विधि
'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें. रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए .अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए. दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें. हांलाकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है . इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है.
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि पूजा रात भर में एक या चार बार की जाती है. यदि पूजा एक बार की जा रही हो तो चंदन के लेप, दही, घी, शहद, चीनी और गुलाब जल से की जा सकती है. यदि चार बार किया जा रहा हो तो पहले प्रहर में जल अभिषेक करना चाहिए. दूसरे प्रहर में अभिषेक करने के लिए दही का प्रयोग करना चाहिए. तीसरे और चौथे प्रहर में क्रमशः घी और शहद का प्रयोग करना चाहिए.
कैसे प्रकट हुए शिव जी
ऐसा मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. ये शिवलिंग इतना विशालकाय था कि इसकी शुरुआत और अंत का पता ही नहीं लग पा रहा था. तब ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के ऊपरी भाग को देखने के लिए गए. वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह के रूप में शिवलिंग के आधार को ढूंढने के लिए गए. लेकिन दोनों ही सफल नहीं हो पाए क्योंकि इस शिवलिंग का न तो आदि था और न ही अंत.
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महाशिवरात्रि व्रत करने से पूरी होती है मनोकामना
1. महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव के पूजा-उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं, उनकी कृपा से भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं.
2. शिव उपासना से मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय तथा सफलता प्राप्त करता है.
3. महाशिवरात्रि व्रत से मनुष्य अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है तथा सदैव रोग मुक्त भी रहता है.
4. भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं अतः महाशिवरात्रि को कुवांरी कन्या द्वारा इनकी आराधना करने से मनोवांछित वर प्राप्ति होती है.
5. शिवरात्रि व्रत करने से परिवार में सुख-सम्पन्नता, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. व्यवसाय में उन्नति तथा दुःख-दरिद्रता, निःसन्तान को संतान सुख प्राप्त होता है.
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क्यों करते हैं महाशिवरात्रि व्रत?
महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है ,यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत,अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है. भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-' शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा !!'अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता. यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है . एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है ,तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है ,वह मुझे प्रसन्न कर लेता है .में अभिषेक,वस्त्र,धूप,अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रत-उपवास से.
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि पूजा रात भर में एक या चार बार की जाती है. यदि पूजा एक बार की जा रही हो तो चंदन के लेप, दही, घी, शहद, चीनी और गुलाब जल से की जा सकती है. यदि चार बार किया जा रहा हो तो पहले प्रहर में जल अभिषेक करना चाहिए. दूसरे प्रहर में अभिषेक करने के लिए दही का प्रयोग करना चाहिए. तीसरे और चौथे प्रहर में क्रमशः घी और शहद का प्रयोग करना चाहिए.
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ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
इस मंत्र का जाप मन से भय को दूर करने के लिए किया जाता है. ये अपने आप में एक शुद्ध कंपन पैदा करता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस मंत्र का दिन में 108 बार जाप करते हैं तो आप अपनी आत्मा को सभी पापों से मुक्त कर सकते हैं. ये मंत्र आपको शांत रहने में भी मदद करता है.
महाशिवरात्रि पूजा मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
जब किसी को एकाग्र होने में कठिनाई होती है, तो वह एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप कर सकता है.
महाशिवरात्रि के दिन हुआ था शिव-पार्वती विवाह
महाशिवरात्रि की पूरी रात शिवभक्त भगवान शिव की अराधना करते हैं. शिवजी की शादी का उत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी. इसी दिन शिवजी ने अपना वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.
महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि
'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें. रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए .अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए. दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें. हांलाकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है . इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है.
महाशिवरात्रि पर इस मंत्र का करें जाप
ॐ नमो भगवते रुद्राय
इस मंत्र का जाप भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए आपको इसका पाठ करना चाहिए. ये मंत्र आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करता है.
कैसे प्रकट हुए शिवजी
ऐसा मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. ये शिवलिंग इतना विशालकाय था कि इसकी शुरुआत और अंत का पता ही नहीं लग पा रहा था. तब ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के ऊपरी भाग को देखने के लिए गए. वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह के रूप में शिवलिंग के आधार को ढूंढने के लिए गए. लेकिन दोनों ही सफल नहीं हो पाए क्योंकि इस शिवलिंग का न तो आदि था और न ही अंत.
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ
1. महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव के पूजा-उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं, उनकी कृपा से भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं.
2. शिव उपासना से मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय तथा सफलता प्राप्त करता है.
3. महाशिवरात्रि व्रत से मनुष्य अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है तथा सदैव रोग मुक्त भी रहता है.
4. भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं अतः महाशिवरात्रि को कुवांरी कन्या द्वारा इनकी आराधना करने से मनोवांछित वर प्राप्ति होती है.
5. शिवरात्रि व्रत करने से परिवार में सुख-सम्पन्नता, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. व्यवसाय में उन्नति तथा दुःख-दरिद्रता, निःसन्तान को संतान सुख प्राप्त होता है.
महाशिवरात्रि 2023 पूजा का शुभ-मुहूर्त
महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी 2023, शनिवार को है. यह अत्यन्त पुण्यफलदायी महापर्व है. इस दिन किसी विशेष मनोकामना पूर्ती के लिए शुभ मुहूर्त में शिव जी के पूजा-उपासना करें-
सुवह- 11.00 बजे से दोपहर 12.57 तक
प्रदोषकाल- सायं-5.28 से 7.41 तक
महानिशारात्रि-12-11 से रात्रि 2-28 तक
महाशिवरात्रि पूजा शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की निशिता काल पूजा मुहूर्त 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक है. महाशिवरात्रि पर प्रात:काल से ही शिव पूजा होती है, लेकिन 18 फरवरी को सुबह 08:22 बजे से 09:46 बजे तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. लाभ उन्नति मुहूर्त दोपहर 02:00 बजे से दोपहर 03:24 बजे तक है. अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 03:24 बजे से शाम 04:49 बजे तक है. दिन में आप इन मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त में करें पूजा
18 फरवरी 2023
प्रथम प्रहर
शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं ईशानाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दूध चढ़ाएं
महाशिवरात्रि व्रत क्यों की जाती है
महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है ,यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत,अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है. भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-' शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा !!'अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता. यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है . एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है ,तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है ,वह मुझे प्रसन्न कर लेता है .में अभिषेक,वस्त्र,धूप,अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रत-उपवास से.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
जब किसी को एकाग्र होने में कठिनाई होती है, तो वह एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप कर सकता है.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ नमो भगवते रुद्राय
इस मंत्र का जाप भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए आपको इसका पाठ करना चाहिए. ये मंत्र आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करता है.
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
इस मंत्र का जाप मन से भय को दूर करने के लिए किया जाता है. ये अपने आप में एक शुद्ध कंपन पैदा करता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस मंत्र का दिन में 108 बार जाप करते हैं तो आप अपनी आत्मा को सभी पापों से मुक्त कर सकते हैं. ये मंत्र आपको शांत रहने में भी मदद करता है.
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त 2023
महाशिवरात्रि की निशिता काल पूजा मुहूर्त 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक है. महाशिवरात्रि पर प्रात:काल से ही शिव पूजा होती है, लेकिन 18 फरवरी को सुबह 08:22 बजे से 09:46 बजे तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. लाभ उन्नति मुहूर्त दोपहर 02:00 बजे से दोपहर 03:24 बजे तक है. अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 03:24 बजे से शाम 04:49 बजे तक है. दिन में आप इन मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
चतुर्थ प्रहर
प्रात: 3 बजकर 52 मिनट से सुबह 7 बज कर 1 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं सद्योजाताय नमः:
उपाय : शिवलिंग को शहद चढ़ाएं
फल : अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
तृतीय प्रहर
अर्धरात्रि 12 बजकर 42 मिनट से प्रात: 3 बजकर 51 मिनट तक (19 फरवरी)
मंत्र : 'ॐ ह्रीं वामदेवाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को घी चढ़ाएं
फल : धनलक्ष्मी आकर्षित होगी, नौकरी और कारोबार में तरक्की मिलेगी.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
द्वितीय प्रहर रात्रि 9 बजकर 31 मिनट से अर्धरात्रि 12 बजकर 41 मिनट तक (19 फरवरी) मंत्र : 'ॐ ह्रीं अघोराय नम:' उपाय : शिवलिंग को दही चढ़ाएं फल : संतान सुख और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है.
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
18 फरवरी 2023
प्रथम प्रहर
शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं ईशानाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दूध चढ़ाएं
Mahashivratri 2023: 4 प्रहर पूजा समय
महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2023 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 2 मार्च 2023 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2023, बुधवार को 6:45 am
आइए जानते हैं वो कौन सी चीजें हैं जो शिव को अति प्रिय हैं
पंचामृत
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकरको पंचामृत से स्नान कराएं. भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा से मनोकामना पूरी होती है और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस दिन पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी
ऐसा मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. ये शिवलिंग इतना विशालकाय था कि इसकी शुरुआत और अंत का पता ही नहीं लग पा रहा था. तब ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के ऊपरी भाग को देखने के लिए गए. वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह के रूप में शिवलिंग के आधार को ढूंढने के लिए गए. लेकिन दोनों ही सफल नहीं हो पाए क्योंकि इस शिवलिंग का न तो आदि था और न ही अंत.
इस दिन शिव और शक्ति का हुआ था मिलन
महाशिवरात्रि की पूरी रात शिवभक्त भगवान शिव की अराधना करते हैं. शिवजी की शादी का उत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी. इसी दिन शिवजी ने अपना वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.
व्रत और पूजन विधि
'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें. रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए .अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए. दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें. हांलाकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है . इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है.
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व (Maha Shivratri Vrat Importance)
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और विधि विधान शिव की पूजा करते हैं. इस दिन शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद, दूध आदि चीजें जरूर चढ़ानी चाहिए. इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. धार्मिक मान्यताओं अनुसार जो व्यक्ति महाशिवरात्रि व्रत सच्चे मन से और विधि विधान रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
व्रत की महिमा
महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है ,यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत,अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है. भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-' शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा !!'अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता. यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है . एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है ,तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है ,वह मुझे प्रसन्न कर लेता है .में अभिषेक,वस्त्र,धूप,अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रत-उपवास से.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान शिव जी की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद, दूध आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं. महाशिवरात्रि पर कई लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं. मान्यता है भोलेनाथ इससे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि पर शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा भी जरूर करें. क्योंकि शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि होती है.
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त 2023
महाशिवरात्रि की निशिता काल पूजा मुहूर्त 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक है. महाशिवरात्रि पर प्रात:काल से ही शिव पूजा होती है, लेकिन 18 फरवरी को सुबह 08:22 बजे से 09:46 बजे तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. लाभ उन्नति मुहूर्त दोपहर 02:00 बजे से दोपहर 03:24 बजे तक है. अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 03:24 बजे से शाम 04:49 बजे तक है. दिन में आप इन मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.
कब है महाशिवरात्रि?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 18 फरवरी को रात 08:02 बजे से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि लग रही है और यह अगली सुबह 19 फरवरी को शाम 04:18 बजे समाप्त हो रही है. निशिता काल पूजा मुहूर्त के आधार पर महाशिवरात्रि 18 फरवरी शनिवार को है.