Mahashivratri 2024: देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, शिव का सबसे पवित्र निवास वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से जाना जाता है . वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर झारखंड राज्य के संथाल परगना क्षेत्र के देवघर में स्थित है. बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर एक शक्ति पीठ भी है, जहां माता सती का हृदय गिरा था, जिसके कारण इसे हृदय पीठ भी कहा जाता है, इसीलिए इस लिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहा जाता है.
महाशिवरात्रि पर जरूर करें बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन
भगवान शिव को सबसे दयालु भगवान के रूप में माना जाता है और उन्हें देवो के देव महादेव भी कहा जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से आपको मनचाहा वरदान मिलता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे महाशिवरात्रि के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं. माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
बाबा बैद्यनाथ के दर्शन टाइम
बाबा बैद्यनाथ मंदिर के परिसर में बाबा बैद्यनाथ देवघर का मुख्य मंदिर जहां लिंग स्थापित किया गया है और अन्य 21 मंदिर शामिल हैं, इस मंदिर का दरवाजा सुबह 4 बजे से रात 09 बजे तक खुलता है. बैद्यनाथ मंदिर पूजा समय में षोडशोपचार पूजा और श्रृंगार पूजा शामिल है. यह मंदिर दोपहर में बंद हो जाता है और फिर शाम को 6 बजे दर्शन के लिए दोबारा खुलता है.
देवघर में शिव और शक्ति दोनों विराजमान
देवघर में शिव और शक्ति दोनों विराजमान हैं. बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भारत में 51 शक्ति पीठों में से एक है. महाशिवरात्रि के दिन शिव और शक्ति की पूजा करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और जलार्पण के साथ सिंदुर भी चढ़ाते हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंग में से बाबा बैद्यनाथ धाम ही एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है जहां शिव और शक्ति दोनों विराजमान हैं. महाशिवरात्रि के दिन श्रृंगार पूजा नहीं होती है, बल्कि चार पहर की विषेश पूजा की जाती और बाबा पर मुकुट भी चढ़ाया जाता है.
जानें बाबा वैद्यनाथ मंदिर की खासियत
वैद्यनाथ भगवान शिव के 12 महाज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां वे प्रकाश के उग्र स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे. बाबा वैद्यनाथ की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसे ज्योतिर्लिंगम के साथ-साथ शक्तिपीठम के रूप में भी पूजा जाता है. शिव पुराण के अनुसार, पवित्र मंदिर शिव और शक्ति की दिव्य एकता का प्रतीक है. माना जाता है कि जब कोई जोड़ा मंदिर में शादी करता है या दर्शन के लिए जाता है, तो उनकी आत्माएं अनंत काल के लिए एक साथ बंध जाती हैं.
विशाल सफेद पत्थर की दीवारों से घिरा है बाबा वैद्यनाथ मंदिर
देवघर के खूबसूरत मंदिर में एक विशाल प्रांगण है, जो विशाल सफेद पत्थर की दीवारों से घिरा है. वैद्यनाथ परिसर में विभिन्न देवताओं को समर्पित लगभग 22 अन्य मंदिर हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं के वास्तुकार, विश्वकर्मा जी ने इस खूबसूरत मंदिर का निर्माण किया था. मंदिर के तीन भाग हैं. मुख्य भवन, मध्य भाग और प्रवेश द्वार. 72 फीट ऊंचा सुंदर मंदिर शिखर इसे सफेद पंखुड़ियों वाले कमल का रूप देता है. मंदिर के गर्भगृह के अंदर, पवित्र ज्योतिर्लिंग स्थित है जिसका व्यास लगभग 5 इंच है, जो 4 इंच के पत्थर के स्लैब पर बना हुआ है. वैद्यनाथ की एक अनूठी विशेषता यह है कि पूरा मंदिर एक ही चट्टान से बनाया गया है.
पूजा और अनुष्ठान
बाबा वैद्यनाथ मंदिर में पूजा समारोह हर दिन सुबह 4 बजे शुरू होता है, जब मुख्य पुजारी ‘षोडशोपचार’ (14 अलग-अलग अनुष्ठान) करते हैं. मंदिर के पुजारी पहले लिंगम पर शुद्ध जल डालकर पूजा करते हैं, इसके बाद तीर्थयात्री फूल और बेलपत्र चढ़ाते हैं. दिन में पूजा दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक चलती है, जिसके बाद मंदिर को बंद कर दिया जाता है और शाम 6 बजे श्रृंगार पूजा के लिए फिर से खोला जाता है. शिव भक्त बाबा वैद्यनाथ को प्रसाद में प्रसिद्ध देवघर का पेड़ा चढ़ाते हैं. बाबाधाम में दान और प्रसाद स्वीकार करने के लिए एक कार्यालय भी है.