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Mahavir Jayanti 2020: महावीर स्वामी कौन हैं? विस्तार से जानिए जैन धर्म का इतिहास

Mahavir Jayanti 2020, Date, History, Significance, Jain Religion: जैन धर्म विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है. यह भारत की श्रमण परम्परा से निकला तथा इसके 24 तीर्थंकर प्रवर्तक हुए. जिनमें अंतिम व प्रमुख महावीर स्वामी हैं. जैन धर्म का उल्लेख जैन साहित्य और वैदिक साहित्य से जाना जाता है. जैन धर्म के दो सम्प्रदाय श्वेतांबर व दिगंबर होते हैं, तथा इनके धर्मग्रंथ आगम, महापुराण, व तत्वार्थ सूत्र हैं. राजा भरत के पिता ऋषभ देव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, यही जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे.

By ThakurShaktilochan Sandilya | April 6, 2020 6:06 AM

Mahavir Jayanti 2020, Date, History, Significance, Jain Religion: जैन धर्म विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है. यह भारत की श्रमण परम्परा से निकला तथा इसके 24 तीर्थंकर प्रवर्तक हुए. जिनमें अंतिम व प्रमुख महावीर स्वामी हैं. जैन धर्म का उल्लेख जैन साहित्य और वैदिक साहित्य से जाना जाता है. जैन धर्म के दो सम्प्रदाय श्वेतांबर व दिगंबर होते हैं, तथा इनके धर्मग्रंथ आगम, महापुराण, व तत्वार्थ सूत्र हैं. राजा भरत के पिता ऋषभ देव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, यही जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे.

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श्रीमद्भागवत के पांचवें स्कन्ध में बताया गया है कि मनु के पुत्र प्रियव्रत हुए जिनके पुत्र आग्नीध्र हुये और आग्नीध्र के पुत्र को राजा नाभि के नाम से जाना गया. नाभि को ही जैन धर्म में नाभिराय नाम से जाना गया है. राजा नाभि के पुत्र ऋषभदेव हुए जो एक महान सम्राट हुए. ऋषभ देव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, यही जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे. भागवतपुराण के अनुसार भगवान ऋषभदेव का विवाह इन्द्र की पुत्री जयन्ती से हुआ. इससे इनके सौ पुत्र उत्पन्न हुए. उनमें भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े एवं गुणवान थे. जैन नगर पुराण में कलयुग में एक जैन मुनि को भोजन कराने का फल सतयुग में दस ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर बताया गया है. अंतिम दो तीर्थंकर, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी ऐतिहासिक पुरुष बताया गया है.

रागद्वेषी शत्रुओं पर विजय पाने के कारण ‘वर्धमान महावीर’ की उपाधि ‘जिन’ थी. इसलिए उनके द्वारा प्रचारित धर्म ‘जैन’ कहलाया. ‘जिन परम्परा’ का अर्थ है – ‘जिन द्वारा प्रवर्तित दर्शन’. और ‘जिन’ के अनुयायी को ‘जैन’ कहते हैं. ‘जिन’ का मतलब जीतने वाला होता है. जिसने स्वयं के मन, तन, वाणी, इच्छा वगैरह को जीत लिया हो और पूर्णज्ञान प्राप्त कर लिया हो उन्हे जिन कहा जाता है’. जैन धर्म को ‘जिन’ भगवान्‌ का धर्म कहा जाता है.

जैन धर्म अहिंसा के अपने मूल सिद्धान्त है को बहुत मजबुती से मानता है. जैन धर्म में खानपान के विशेष नियमों का पालन किया जाता है. इसके 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ हुए जो काशी के राजा अग्रसेन के पुत्र थे. 30 वर्ष की उम्र में उन्होने सन्यास ले लिया.स्वामी महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हुए.महावीर का बचपन मे वर्द्धमान नाम पड़ा.महावीर की पत्‍नी का नाम यशोदा था जिनसे एक पुत्री अनोज्जा प्रियदर्शनी हुई.महावीर का साधना काल साढ़े 12 साल की अवधि का रहा जिसमें उन्होने तप, संयम और साम्यभाव की साधना की. उनके दामाद जामिल महावीर के पहले अनुयायी बने.

जैन धर्म दो भागों में विभाजित है- श्वेतांबर और दिगंबर, श्वेतांबर सफेद कपड़े पहनते हैं और दिगंबर नग्नावस्था में ही रहते हैं.भद्रबाहु के शिष्य दिगंबर और स्थूलभद्र के शिष्य श्वेतांबर कहलाए.जैन धर्म में ईश्‍वर को नहीं मानता वह आत्मा की मान्यता पर चलता है. स्वामी महावीर पुनर्जन्म और कर्मवाद में विश्वास रखते थे. 72 साल की आयु में स्वामी महावीर की मृत्यु 468 ई. पू. में बिहार राज्य के पावापुरी में हुई थी.मल्लराजा सृस्तिपाल के राजप्रसाद में महावीर की निर्वाण स्थली है.

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