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mangla gauri vrat : सावन के आखिरी मंगलवार आज, मां मंगला गौरी की पूजा करने पर विवाह, नौकरी और व्यापार में आ रही हर बाधाएं होगी दूर

mangla gauri vrat : भगवान शिव की आराधना का पवित्र सावन मास खत्म होने वाला है. 28 जुलाई को इस सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत किया जाएगा. सावन के हर मंगलवार को मां मंगला गौरी के निमित्त व्रत रखकर विशेष पूजा आराधना की जाती है.

mangla gauri vrat : भगवान शिव की आराधना का पवित्र सावन मास खत्म होने वाला है. 28 जुलाई को इस सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत किया जाएगा. सावन के हर मंगलवार को मां मंगला गौरी के निमित्त व्रत रखकर विशेष पूजा आराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां मंगला गौरी का पूजन करने से विवाह, नौकरी, व्यापार और धन संबंधित सभी तरह की हर बाधाएं दूर हो जाती है. आइए जानें मंगला गौरी व्रत और पूजा विधि…

मंगला गौरी व्रत एवं पूजा विधि

प्रात: काल दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर आप स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें, इसके बाद मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें. फिर पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें, इसके पश्चात मां मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को लाल वस्त्र बिछाकर एक चौकी पर स्थापित कर दें. अब माता रानी का पुष्प, अक्षत्, गंध, धूप, दीप आदि से षोडशोपचार पूजन करें. यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए किया जा रहा है, तो माता को 16 श्रृंगार के सामान अर्पित करें. अब देवों के देव महादेव को भी पुष्प, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि अर्पित कर पूजन करें. अब मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करें.

व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत विशेष फलदायी है. अविवाहित महिलाओं के करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं. इससे सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है. युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी होती है या शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है.

मां मंगला गौरी के इस मंत्र का जाप सुबह और शाम को 108-108 बार करें

श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।

व्रत कथा

किसी नगर में एक धर्मपाल नाम के सेठ रहता था. सेठ के पास बहुत सारी धन-संपत्ति थी. पत्नी भी अच्छी थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं था, इसलिए वह दुखी रहता था. लंबे समय बाद भगवान की कृपा से उसे एक पुत्र हुआ. पुत्र के लिए ज्योतिषियों की भविष्यवाणी थी कि बच्चे की उम्र कम रहेगी और उम्र के सोलहवें साल में सांप के डसने से मृत्यु हो जाएगी, जब पुत्र थोड़ा बड़ा हुआ तो उसकी शादी ऐसी लड़की से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत करती थीं. इस व्रत को करने वाली महिला की बेटी को आजीवन पति का सुख मिलता है और वह हमेशा सुखी रहती है. इसलिए इस व्रत के शुभ प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र को भी लंबी उम्र मिली.

News Posted by: Radheshyam kushwaha

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