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Manglik Dosh: क्‍या होता है मांगलिक दोष, जिसके कारण विवाह होने में आती हैं अड़चनें, जानें डिटेल्स

Manglik Dosh: मांगलिक दोष की वजह से दांपत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है, इसकी वजह से विवाह में देरी और कई तरह की रुकावटें आती हैं. यदि विवाह हो भी गया तो जीवनसाथी से सामंजस्य नहीं बैठता है.

Manglik Dosh: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के जीवन में होने वाले उतार-चढ़ाव का कारण उसकी कुंडली में मौजूद ग्रह-नक्षत्रों की स्थितियों पर निर्भर करता है. कुंडली में मौजूद हर एक ग्रह का अपना एक स्थान और उसका लाभ होता है, लेकिन कभी-कभी किसी व्यक्ति की कुंडली में एक ग्रह की दशा खराब होने पर व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार 28 वर्ष की आयु तक मांगलिक दोष का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है और कई लोगों की राशि और कुंडली में 28 साल की उम्र के बाद ये समाप्त हो जाता है, वहीं कुछ लोगों के लिए इसका असर पूरे जीवन रहता है. आइए जानते है कि मंगल दोष के कारण विवाह होने मे देरी क्यों होती है…

मंगल दोष के लक्षण

कुंडली में जब मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में विराजमान हो तो व्यक्ति मांगलिक होता है. वहीं प्रथम भाव प्रथम भाव व्यक्ति के स्वास्थ्य का, चतुर्थ भाव माता का, सप्तम भाव जीवनसाथी का, अष्टम भाव मृत्यु तुल्य कष्ट का, द्वादश भाव जेल व अस्पताल के खर्चों का होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के द्वादश भाव में मंगल दोष होने से वैवाहिक जीवन के साथ ही शारीरिक क्षमताओं में कमी, क्षीण आयु, रोग द्वेष और कलह-क्लेश को जन्म देता है. मंगल दोष होने से व्यक्ति का स्वभाव गुस्सैल, क्रोधिक और अहंकारी हो जाता है. ससुराल पक्ष से रिश्ते खराब होने या बिगड़ने की वजह भी मंगल दोष होता है.

कैसे बनता है कुंडली में मंगल दोष?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मंगल ग्रह के कुछ निश्चित भाव में विराजमान पर यह दोष का निर्माण होता है. मंगल ग्रह जब किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होते हैं, तो मंगल दोष यानी मांगलिक दोष बनता है. मंगल ग्रह की स्थिति दांपत्य जीवन के लिए अशुभ मानी जाती है, हालांकि यदि मंगल पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती है, तो मंगल दोष का प्रभाव कुछ हद तक कमजोर हो जाता है.

मंगल दोष के प्रभाव

मांगलिक दोष की वजह से दांपत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है, इसकी वजह से विवाह में देरी और कई तरह की रुकावटें आती हैं. यदि विवाह हो भी गया तो जीवनसाथी से सामंजस्य नहीं बैठता है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इसका कारण कुंडली के सातवें भाव को विवाह या वैवाहिक जीवन का माना जाता है, और इस भाव में मंगल का होना अशुभ होता है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अशुभ ग्रह जैसे मंगल, शनि, राहु या केतु, सूर्य या पीड़ित चंद्रमा , यदि सातवें घर में मौजूद हो या उस पर दृष्टि डाल रहा हो, तो यह देर से विवाह का कारण बन सकता है. यदि शनि और चंद्रमा किसी भी संभावित संयोजन में हों तो विवाह में देरी हो सकती है.

मंगल दोष के लक्षण

  • संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होना
  • व्यक्ति को रक्त से जुड़ी बीमारियां होना
  • किसी मुक़दमे में फंसना
  • आत्मविश्वास और साहस का अत्यधिक कमजोर पड़ना
  • हिंसक स्वभाव व्यक्ति पर हावी होना
  • कर्जे की स्थिति आ जाना
  • वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आना
  • भाई से हमेशा विवाद होना

मांगलिक दोष के उपाय

  • मंगल दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंगल ग्रह की शांति पूजा करें करें.
  • लाल मिर्च, गुड़, लाल रंग के कपड़े, शहद, लाल रंग की मिठाई, मसूर की दाल आदि चीजों का दान करें.
  • मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद लाल वस्त्र धारण कर हनुमान जी की पूजा-उपासना करें.
  • मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें और हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं
  • मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटे.
  • मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.

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