Manmohan Singh Funeral: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में हो गया. उनका अंतिम संस्कार शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ. गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर थोड़ी देर पहले किया गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सिख समुदाय की परंपराओं के अनुसार संपन्न हुआ. यहां हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिखों में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया किस प्रकार होती है.
सिख धर्म में कैसा होता है अंतिम संस्कार
सिख धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हिंदू धर्म के समान होती है, लेकिन इसमें कुछ चीजें अलग होती हैं. उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में महिलाओं को आमतौर पर श्मशान घाट में जाने की अनुमति नहीं होती, जबकि सिख धर्म में महिलाएं इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सकती हैं.
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जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके शरीर को श्मशान ले जाने से पूर्व स्नान कराया जाता है. इसके बाद, सिख धर्म की पांच प्रमुख वस्तुएं, जिसमें कंघा, कटार, कड़ा, कृपाण और केश शामिल हैं, को उचित रूप से सजाया जाता है. फिर, मृतक के परिवार, रिश्तेदार और करीबी लोग वाहेगुरु का जाप करते हुए अर्थी को श्मशान घाट तक ले जाते हैं. अंत में, मृतक का कोई करीबी इंसान ही शव को मुखाग्नि देता है.
सिख धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में चिता को जलाने के बाद अगले 10 दिनों तक विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. श्मशान से लौटने के बाद, सभी श्रद्धालु सबसे पहले स्नान करते हैं और फिर शाम के समय भजन और अरदास में भाग लेते हैं. इसके पश्चात, सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है.
यह पाठ मृत्यु के बाद के 10 दिनों तक निरंतर चलता है. इसके बाद, गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ में शामिल सभी व्यक्तियों के बीच कड़हा प्रसाद का वितरण किया जाता है. प्रसाद वितरण के उपरांत, पुनः भजन-कीर्तन किया जाता है. इस समय सभी लोग मृतक की आत्मा की शांति के लिए अरदास करते हैं.