Margashirsha Amavasya 2023: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Margashirsha Amavasya 2023: अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने पर सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है. धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर यदि विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने पर अमोघ फल की प्राप्ति होती है.

By Radheshyam Kushwaha | December 6, 2023 2:27 PM
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Margashirsha Amavasya 2023: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है. अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने पर सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है. धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर यदि विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने पर अमोघ फल की प्राप्ति होती है. वहीं घर में भी सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. आइए, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं…

शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 12 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 13 दिसंबर को 05 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है, इसलिए 12 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है. मार्गशीर्ष अमावस्या पर धृति योग का निर्माण हो रहा है. धृति योग संध्याकाल 06 बजकर 52 मिनट तक है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

पूजा विधि

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. अगर सुविधा है, तो गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें. इस समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें, इसके साथ ही तिलांजलि दें. हथेली में तिल रखकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें, इसके बाद पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें, इस समय विष्णु चालीसा का पाठ करें. वहीं विष्णु स्तोत्र और मंत्र जाप करें. अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें. पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान-पुण्य करें.

पितरों को खुश करने का दिन है अमावस्या

अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने का दिन है, इस दिन सुबह पीपल के पेड़ को स्पर्श कर उसकी पूजा अर्चना करें. पूजा करने के लिए किसी तांबे के बर्तन में गंगा जल, दूध, काले तिल, शहद और घी मिलाकर पूजा की जाती है, इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराने से परिवार की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.

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उपाय

अमावस्या की रात श्मशान घाट या सुनसान जगहों के आसपास से गुजरने से बचना चाहिए. अमावस्या की शाम को सरसों के तेल से चुपड़ी दो रोटी लेकर अपने सिर से सात बार वारें और वारने के बाद रोटी काले कुत्ते को डाल दें, इसके साथ ही देवताओं और पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.

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