Margashirsha Amavasya 2024: इस दिन मनाई जाएगी मार्गशीर्ष अमावस्या,  जानें डेट, मुहूर्त व पूजा-विधि

Margashirsha Amavasya 2024: हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए वर्ष में आने वाली हर अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वर्तमान में भगवान कृष्ण को समर्पित मार्गशीर्ष माह चल रहा है, जिसमें दिसंबर महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इसी दिन मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत आयोजित किया जाएगा.

By Shaurya Punj | November 24, 2024 7:15 AM

Margashirsha Amavasya 2024:  हिन्दू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व है. इस वर्ष दिसंबर में आने वाली अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या के रूप में जाना जाएगा. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन किए गए पूजा-पाठ और व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है. अमावस्या के अवसर पर हम मार्गशीर्ष अमावस्या के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, उपाय और इसके महत्व के बारे में जानेंगे.

मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 की तिथि

मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इस अमावस्या के उपवास से न केवल पितृगण की तृप्ति होती है, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, और सभी जीव-जंतुओं की भी संतुष्टि होती है.

Weekly Rashifal 24 November to 30 November 2024: तुला राशि वालों के लिए लापरवाही हानिकारक हो सकती है, यहां देखें साप्ताहिक राशिफल

Surya Grahan 2025: अगले साल लगेंगे दो सूर्यग्रहण, जानें क्या भारत में आएगा नजर

Surya Grahan 2025: अगले वर्ष कब लगेगा साल का पहला सूर्यग्रहण, यहां जानें सही तिथि

मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 का मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या 30 नवंबर 2024 को प्रातः 10 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगी और 1 दिसंबर 2024 को प्रातः 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी.

मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा की विधि

स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें.
सबसे पहले गणेश जी को प्रणाम करें.
विष्णु जी का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें.
इसके बाद प्रभु को पीला चंदन और पीले फूल अर्पित करें.
मंदिर में घी का दीप जलाएं.
श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें.
पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें.
तुलसी दल के साथ भोग अर्पित करें.

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ दोष से छुटकारा

अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों की स्मृति में पीपल के वृक्ष पर कुछ गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और पुष्प अर्पित करें. ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें. इस दिन पितृसूक्त और पितृस्तोत्र का पाठ करना शुभ परिणाम देता है.

Next Article

Exit mobile version