Mercury Transit 2021: 4 फरवरी को बुध वक्री होकर मकर राशि में करेंगे प्रवेश, जानिए किन लोगों के जीवन में आएगी खुशहाली
Mercury Transit 2021: मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना जाता है. बुध को ग्रहों का राजकुमार भी कहा जाता है. बुध ग्रह 4 फरवरी को वक्री होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. बुध का राशि परिवर्तन रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा. बुध ग्रह बुद्धि, ज्ञान, संचार, भाषण, शिक्षा और स्वभाव आदि का कारक माना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह एक निश्चित समय के अंतरात पर अपनी राशि बदलता है.
Mercury Transit 2021: मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना जाता है. बुध को ग्रहों का राजकुमार भी कहा जाता है. बुध ग्रह 4 फरवरी को वक्री होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. बुध का राशि परिवर्तन रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा. बुध ग्रह बुद्धि, ज्ञान, संचार, भाषण, शिक्षा और स्वभाव आदि का कारक माना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह एक निश्चित समय के अंतरात पर अपनी राशि बदलता है.
ग्रह कुछ सीधे तो कुछ विपरीत अवस्था में चलते हैं. ज्योतिष शास्त्र में विपरीत दिशा में ग्रहों के चलने को वक्री व सीधे अवस्था को मार्गी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बुध जिस भी ग्रह के साथ युति करता है, उस ग्रह के अनुसार ही व्यवहार करने लगता है. बुध, सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है और अपनी मार्गी गति में यह 28 दिनों के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है. आइए जानते है बुध का राशि परिवर्तन का प्रभाव…
ग्रह की युति के अनुसार व्यवहार बदलता है बुध ग्रह
बुध ग्रह राशि के अनुसार जिस भी ग्रह के साथ युति करता है, उसी ग्रह के अनुसार व्यवहार करने लग जाता है. बुध ग्रह सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है. बुध अपनी मार्गी गति में यह 28 दिन के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है. यदि बुध ग्रह कुंडली में कमजोर स्थिति में है तो अशुभ व विपरीत परिणाम मिलते हैं. इससे कई जातकों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है.
ऐसे लोग काफी कठोर वचन भी बोलते हैं. ज्योतिष के अनुासर 9 ग्रह में बुध, शनि, शुक्र और गुरु समय-समय पर वक्री अवस्था में गोचर करते हैं. वहीं राहु और केतु ऐसे दो ग्रह हैं , जो हमेशा ही वक्री रहते हैं. ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा कभी वक्री नहीं होते हैं, इनकी चाल हमेशा मार्गी ही रहती है. बुध भाव के हिसाब से जातक को वक्री होने पर परिणाम देता है.
Also Read: February 2021 Vrat-Tyohar: कब है मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी, जानिए फरवरी में आने वाले सभी व्रत व त्योहारों की पूरी लिस्ट…
बुध का व्रकी होकर कुंडली में गोचर करना
ज्योतिष के अनुसार, बुध के कुंडली में कमजोर होने पर अशुभ व विपरीत परिणामों की प्राप्ति होती है. इससे जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वाणी कठोर हो जाती है. नौ ग्रह में बुध, शनि, शुक्र और गुरु समय-समय पर वक्री अवस्था में गोचर करते हैं. राहु और केतु ऐसे दो ग्रह हैं जो लगभग वक्री ही रहते हैं. सूर्य और चंद्रमा वक्री नहीं होते हैं. जबकि बुध भाव के हिसाब से जातक को वक्री होने पर परिणाम देता है.
कुंडली के भाव के हिसाब से बुध का प्रभाव
-
ज्योतिष शास्त्र में पहले भाव में वक्री बुध का विराजमान होना शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिषों की मानें तो इस दौरान जातक गलत फैसले ले लेता है, जिससे नुकसान उठाना पड़ता है.
-
दूसरे भाव में बुध का वक्री होना जातक को बुद्धिमान बनाता है. जातक हर फैसला सोच-समझकर लेता है.
-
कुंडली के तीसरे भाव में वक्री बुध का होना जातक को साहसी बनाता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. जोखिम भरे कार्यों में जातक रूचि दिखाता है.
-
बुध का वक्री होकर कुंडली के चौथे भाव भाव में विराजमान होना जातक को धन लाभ कराता है.
-
पांचवें भाव में वक्री बुध का विराजना शुभ माना जाता है. परिवार में खुशहाली आती है और जीवनसाथी संग रिश्ता मजबूत होता है.
-
छठवें भाव में अगर वक्री बुध बैठा हो तो जातक को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. जातक जल्दी किसी पर भरोसा नहीं कर पाता है.
-
सातवें भाव में बुध का वक्री होना जीवनसाथी का साथ दिलाता है. ऐसे जातक को खूबसूरत जीवनसाथी मिलता है.
-
आठवें भाव में वक्री बुध का होना जातक को धर्म के प्रति उदार बनाता है. जातक आध्यात्म के क्षेत्र में रूचि लेता है.
-
नवम भाव में वक्री बुध का बैठना जातक को तर्क संपन्न बनाता है. जातक विवेकवान होते हैं.
-
दशम भाव में बुध का वक्री होना जातक को पैतृक संपत्ति में लाभ दिलवाता है.
-
एकादश भाव में बुध के वक्री अवस्था में बैठना जातक को लंबी उम्र देता है. जातक जीवन को सुखमय बिताता है.
-
द्वादश भाव में वक्री बुध का विराजना जातकों निर्भिक बनाता है. जातक के अंदर किसी का भी भय नहीं रहता है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha