Mohini Ekadashi 2024: कब रखा जाएगा मोहिनी एकादशी का व्रत, जानें तिथि, महत्व और विधि

Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी 18 मई को सुबह 11:23 बजे से शुरू होकर 19 मई को दोपहर 1:50 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के नियमानुसार यह व्रत 19 मई को रखा जाएगा.

By Shaurya Punj | May 29, 2024 10:41 AM

Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस साल 19 मई 2024 को मोहिनी एकादशी पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाएगी. मोहिनी एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और उनका आशीर्वाद पाने का एक सुनहरा अवसर होता है. विधि-विधान से इस व्रत को करने से धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है.

मोहिनी एकादशी व्रत कब है?

मोहिनी एकादशी का आरंभ 18 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर
मोहिनी एकादशी का समापन 19 मई को दोपहर में 1 बजकर 50 मिनट पर
उदया तिथि के नियमानुसार 19 मई को व्रत रखा जाएगा

Mohini Ekadashi का धार्मिक महत्व क्या है?

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष (आत्मा की मुक्ति) की प्राप्ति हो सकती है. यह व्रत पापों का नाश करता है और मन को शुद्ध करता है.


एकादशी को मोहिनी एकादशी क्यों कहां जाता है?

भगवान विष्णु व्रत रखने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लिया था, इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.

Mohini Ekadashi 2024  के नियम क्या हैं?

व्रत विधि
एकादशी तिथि के प्रारंभ होने से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
अपने घर के मंदिर या पूजा स्थल में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें.
भगवान विष्णु को दीप, फल, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें.
भगवान विष्णु की आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें.
पूरे दिन व्रत रखें और केवल फलहार ग्रहण करें.
अगले दिन, द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद पारण करें.
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान करें.

Mohini Ekadashi 2024: पौराणिक कथा क्या हैं?

समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला, तो देवताओं और असुरों के बीच अमृत के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया. देवताओं को लगा कि वे असुरों से युद्ध हार जाएंगे. देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया. मोहिनी का रूप इतना मनमोहक था कि सभी असुर उन पर मोहित हो गए. इस मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने छल से असुरों को हरा दिया और देवताओं को अमृत पिलाकर उन्हें अमर बना दिया.
यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को मोहिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया था.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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