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Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें इसके पीछे की वजह

Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के रूप में मनाई जाती है. यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है और गीता जयंती का भी आयोजन होता है, क्योंकि इसी दिन महाभारत के युद्ध क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान प्रदान किया था.

Mokshada Ekadashi 2024: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष मास को अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना जाता है. इस महीने में आने वाले सभी व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है. इसी माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में जाना जाता है. इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का व्रत कल यानी 11 दिसंबर को रखा जाएगा.

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से आती है सुख, समृद्धि

यह माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है. इसके अतिरिक्त, साधक को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. आइए, यह समझते हैं कि मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष कैसे प्राप्त होता है.

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कल है मोक्षदा एकादशी

मोक्षगदा एकादशी तिथि का प्रारंभ 11 दिसंबर को 3:42 AM पर होगा और इसका समापन 12 दिसंबर को 1:09 AM पर होगा इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा.

मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति

मोक्षदा एकादशी व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है या नहीं, इस पर विचार करते हुए पौराणिक कथाएँ हमें बताती हैं कि इस दिन कुरुक्षेत्र के युद्ध में अनेक योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए और उन्हें मोक्ष मिला. इस व्रत का पालन करने से सीधे तौर पर मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती, किंतु पुण्य के फल अवश्य मिलते हैं. यह मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से आत्मा और मन की शुद्धता बनी रहती है. इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त होता है और उसके जीवन में सुख और शांति का संचार होता है. कहा जाता है कि इस दिन गीता का पाठ करने और उसके उपदेशों का अनुसरण करने से मोक्ष की प्राप्ति संभव है. मोक्ष का अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति या सुख-दुख से परे रहना. भगवान कृष्ण के ज्ञान के कारण अनेक लोगों ने आत्मज्ञान प्राप्त किया, जो मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होने का संकेत है. कई भक्त ऐसे थे जो भगवान श्रीकृष्ण के सान्निध्य में रहकर इस ज्ञान को प्राप्त करते थे.

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