Nag Panchami 2020: सावन महीना शुरू हो गया है. इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार पड़ रहे है. इनमें से एक त्योहार नाग पंचमी है. सावन का महीना बेहद पावन होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है. इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्योहार नाग देवता को समर्पित है. इस दिन नाग देव की पूजा की जाती है. हिदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये जाते हैं. नाग पंचमी के दिन उपावास रखकर देवी-देवताओं के साथ नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार नाग पंचमी 25 जुलाई को है. नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है.
नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं. वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी. लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है. इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है. सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है. वहीं, सावन महीना वर्षा ऋतु का भी महीना होता है, जिसमें माना जाता है कि भू-गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं. वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है.
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है. कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है. काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है. इस दोष से मुक्ति के लिये नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व हैं.
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं. बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा. पहले उसने गांव में आतंक मचाया. लोग भयभीत रहने लगे. एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई. जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर कालिया की जान पर बन आई. भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया. कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.
नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती. नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है. दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है. सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है. जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है.
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