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Nag Panchami 2022: नाग पंचमी के दिन क्यों की जाती है सर्प पूजा ? जान लें इस दिन क्या करें क्या नहीं

Nag Panchami 2022: नाग पंचमी श्रावण मास में पड़ने वाला हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. नाग पंचमी सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2022 2:29 PM

Nag Panchami 2022: नाग पंचमी श्रावण मास में पड़ने वाला हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. नाग पंचमी सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन मनाया जाता है. हरितालिका तीज के एक दिन बाद नाग पंचमी का त्योहार पड़ता है. इस बार नाग पंचमी 2 अगस्त, मंगलवार को मनायी जाएगी. इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है. जानें नाग पंचमी के दिन क्यों की जाती है नाग या सर्प देवता की पूजा? क्या है पाैराणिक मान्यता और परंपरा?

हिन्दू धर्म में बारिश की फुहारों और सावन माह के आगमन से साथ ही नागों की पूजा भी शुरू हो जाती है. नागों को देवताओं के रूप में पूजा जाता है. धर्म ग्रंथों में भगवान के कई अलग-अलग रूपों और नाग जाति का भी महत्वपूर्ण संबंध बताया गया है. आइए जानते है कि नाग पंचमी के अवसर पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए…

काल सर्प दोष निवारण के लिए करें नाग पंचमी के दिन करें उपाय

नाग पंचमी के दिन कुछ लोग काल सर्प दोष निवारण पूजा भी करवाते हैं. नाग पंचमी पर शेष नाग, तक्षक नाग और वासुकी नाग की पूजा की जाती है. वासुकी नाग को भगवान भोलेशंकर अपने गले में धारण करते हैं. मान्यता है कि नागों की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

नाग पंचमी के दिन क्या करें क्या नहीं जानें

नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए. नाग पूजा के लिए नाग देवता की मूर्ति या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है. दूध, धान, खीर और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है. सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है. जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है.

नाग और भगवान शिव का संबंध

नागों और भगवान शिव का संबंध सृष्टि के आरंभ से ही चला आ रहा है. नाग भगवान शिव के गले समेत कई अन्य अंगों पर भी लिपटे रहे हैं. इसलिए भी भगवान शिव के साथ-साथ नागों को देवता के रूप में पूजा की जाती है.

नाग और ब्रह्रमा जी का संबंध

सृष्टि रचयिता ब्रह्रमा जी ने इस दिन अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था. शेषनाग द्वारा पृथ्वी का भार अपने सिर पर धारण करने के बाद लोगों ने नाग देवता की पूजा करनी शुरू कर दी, तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

भगवान विष्णु और शेषनाग का संबंध

भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर क्षीर सागर में विराजमान रहते हैं. भगवान विष्णु और शेषनाग के मध्य बहुत ही घनिष्ठ संबंध है. वहीं दूसरी ओर शेषनाग पृथ्वी का भार अपने सिर पर भी धारण करते हैं. इसलिए भगवान विष्णु के साथ शेषनाग की पूजा की जाती है.

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नाग और भगवान कृष्ण का संबंध

शास्त्रों में नाग पंचमी पर नागों की पूजा का एक प्रसंग भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है. बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिए कंस ने कालिया नामक नाग को यहां भेजा था. कालिया नाग के आतंक से लोग परेशान हो गए, इसके बाद वहां के लोग भयभीत रहने लगे.

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