Nag Panchami 2023: सावन मास की पंचमी तिथि नाग देवताओं के पूजन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इस दिन को नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है. नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है. इस दिन नागों को दूध पिलाया जाता है.
इस साल नाग पंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी. सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है. इस प्रिय महीने में भोलेनाथ के प्रिय नागों की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं. आइए, जानते हैं कि नागपंचमी पर किन आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है.
वासुकी नाग को भगवान शिव के गले का श्रृंगार माना जाता है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को बांधकर बासुकी नाग को रस्सी बनाया गया था. वासुकी नाग ने ही बचपन में वासुदेव द्वारा नदी पार करते समय भगवान कृष्ण की रक्षा की थी.
अनंत नाग भगवान विष्णु के सेवक थे. अष्टनागों में अनन्त नाग को अहम माना गया है. इन्हें शेषनाग भी कहा जाता है. मान्यता है कि अनंत नाग के फन पर ही धरती टिकी हुई है. अनंत का अर्थ है कि जिसका अंत न हो सके. अनंत नाग की उत्पत्ति प्रजापतियों से हुई है.
पद्म नाग को असम में नागवंशी के रूप में जाना जाता है. पद्म नाग को महासर्प कहा गया है. मान्यता है कि पद्म नाग गोमती नदी के पास शासन करते थे, जो बाद में पद्म नाग मणिपुर में जाकर बस गए थे.
महापद्म नाग को शंखपद्म भी कहा जाता है. उनके फन पर त्रिशूल का निशान बना हुआ है. महापद्म नाग सफेद रंग के होते हैं. इनके नाम विष्णु पुराण में भी वर्णन किया गया है.
महाभारत में तक्षक नाग का वर्णन है, जे पाताल में निवास करते है. तक्षक नाग की मां का नाम क्रूद है और पिता का नाम कश्यप ऋषि है.
कुलीर नाग को ब्राह्मण कुल का माना जाता है. धार्मिक शास्त्रों में जगत पिता ब्रह्मा जी से इनका संबंध बताया गया है. कुलीर नाग अष्टनागों में से एक माने जाते हैं. इनकी पूजा नाग पंचमी पर की जाती है.
कर्कट नाग को भगवान शिव का एक गण माना जाता है. यह नाग बहुत भयानक दिखते हैं. मान्यता है कि कर्कट नाग की पूजा करने से काली के श्राप से मुक्ति मिलती है.
अष्टनागों में शंख नाग सबसे तेज बुद्धि वाले माने गए हैं. शंख नागों की अष्टनागों में अहम जगह मानी जाती है. नागपंचमी के दिन इनकी भी पूजा की जाती है.