कृष्ण ने नरकासुर का किया था वध
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. वैसे कोई भी पर्व हो या त्यौहार हो उसका मूल उद्देश्य सकारात्मक भाव के साथ ईश्वर से प्रार्थना करना है. उनकी कृपा प्राप्त करना है.
मानसिक, शारीरिक और आत्मिक मलिनता को दूर करना है जरूरी
नरक चतुर्दशी को लेकर अनेक प्रकार की मान्यताएं हैं. नरक शब्द का अभिप्राय मलिनता से है. मलिनता को दूर करना ही मुख्य लक्ष्य है. यह मलिनता शारीरिक, मानसिक और आत्मिक सभी स्तरों से दूर करने की है. हर स्थान से मलिन यानी अनुपयोगी चीजों को दूर करना ही इसका उद्देश्य है फिर चाहे वह घर हो या आपका अपना अंतर्मन.
आर्थिक तंगी हो तो तेल मालिश करें
परंपरा के अनुसार चतुर्दशी यानी नरक चौदस के दिन लक्ष्मी जी सरसों के तेल में निवास करती हैं इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है. जिन लोगों को आर्थिक रूप से तंगी रहती हो उनको इस दिन सरसों का तेल जरूर लगाना चाहिए. नरक चौदस के दिन उबटन लगाने का भी रिवाज है. उबटन लगाने के बाद गुनगुने पानी से स्नान कर श्रृंगार करने का भी महत्व है.
हनुमान चालीसा का पाठ दूर करता है संकट
नरक चतुर्दशी के दिन यदि 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ पूरे परिवार के साथ किया जाए, तो जीवन में कई प्रकार के संकट और तनाव दूर हो जाते हैं.
यम की पूजा का प्रावधान
इस दिन यमराज की पूजा करने का भी रिवाज है.. इस दिन दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाए जाते हैं क्योंकि कहा जाता है दक्षिण में यम का वास होता है.
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परेशानी से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय
नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली को प्रातःकाल हाथी को गन्ना या मीठा खिलाने से जीवन में जो परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उससे छुटकारा मिलता है.