Navratri 2020 Kalash Sthapana Time, Shubh Muhurat : अधिकमास के कारण एक माह विलंब से शुरू हुआ नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर दिन शनिवार से शुरू हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से आरम्भ हो रहे दुर्गा पूजा के पहले दिन कलश स्थापना से लेकर मां के नौ स्वरूपों की पूजा शुरू होती है. इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक है.
इस बार की नवरात्रि (Navratri 2020) विशेष खास होने वाली है. मां दुर्गा (Maa Durga) इस बार अपने भक्तों की कष्ट को हरने के लिए आ रही है. कोरोना काल में अपने भक्तों को मां दुर्गा रक्षा करेंगी. हिन्दू धर्म में नवरात्रि का त्योहार विशेष स्थान रखता है. नवरात्रि में नौ दिनों तक शक्ति मां दुर्गा की उपासना की जाती है. इस दौरान मां की अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि में देवी के नौ अलग-अलग रूप की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्रि शुरू होते ही घरों में कलश स्थापित कर लगातार नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ, पूजा, उपवास और जागरण किये जाते है. आइए जानते है कलश स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम…
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.
सुबह स्नान कर साफ सुथरें कपड़े पहने, इसके बाद एक पात्र लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस पात्र को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की आराधना की जाती है. पूजा के समय सबसे पहले आसन पर बैठकर जल से तीन बार शुद्ध जल से आचमन करे- ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: फिर हाथ में जल लेकर हाथ धो लें. हाथ में चावल एवं फूल लेकर अंजुरि बांध कर दुर्गा देवी का ध्यान करें. फिर इस मंत्र का जाप करें…
आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।
‘श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।’ दुर्गादेवी-आवाहयामि! – फूल, चावल चढ़ाएं.
‘श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:’ आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- भगवती को आसन दें। श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि। – आचमन ग्रहण करें.
श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि – दूध चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि – दही चढा़एं.
श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि – घी चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि – शहद चढा़एंश्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि – शक्कर चढा़एं.
श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि – पंचामृत चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि – गंध चढाएं.
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि – जल चढ़ाए.
आचमन के लिए जल लें. श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि – वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं।श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र चढाएं.
श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं.
श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं.
श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं.
तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि। मां दुर्गा देवी की आरती करें.
शुद्ध आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा रात 11 बजकर 27 मिनट के उपरांत द्वितीय हो जाएगी
श्री शुभ संवत -2077, शाके -1942, हिजरी सन-1441-42
सूर्योदय-06:17
सूर्यास्त-05:43
सूर्योदय कालीन नक्षत्र- चित्रा उपरांत स्वाती, विष्कुंभ- योग, किं- करण
सूर्योदय कालीन ग्रह विचार-सूर्य- कन्या, चंद्रमा- तुला, मंगल- मीन, बुध- तुला, गुरु- धनु, शुक्र- सिंह, शनि – धनु, राहु- वृष, केतु – वृश्चिक
प्रात: 06:00 से 07:30 तक चर
प्रातः 07:30 से 09:00 तक लाभ
प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक अमृत
प्रातः10:30 बजे से 12:00 बजे तक काल
दोपहरः 12:00 से 01:30 बजे तक शुभ
दोपहरः 01:30 से 03:00 बजे तक रोग
दोपहरः 03:00 से 04:30 बजे तक उद्वेग
शामः 04:30 से 06:00 तक चर
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
News Posted by: Radheshyam Kushwaha