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मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करती है मां ब्रह्मचारणी
मां ब्रह्मचारणी की पूजा करने से मंगल ग्रह की अशुभता दूर होती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है उन्हें मां ब्रह्मचारणी की पूजा करनी चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए पढ़ें ये मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
आज सुबह उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद आसन पर बैठ जाएं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें. उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें. मां को दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं. मां को भोग लगाएं. उन्हें पिस्ते की मिठाई का भोग लगाएं. फिर उन्हें पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें. सच्चे मन से मां की पूजा करने पर वो व्यक्ति को संयम रखने की शक्ति प्राप्त करती हैं.
18 अक्टूबर रविवार
शुद्ध आश्विन शुक्लपक्ष द्वितीया रात -09:04 उपरांत तृतीया
श्री शुभ संवत -2077, शाके -1942, हिजरीसन-1441-42
सूर्योदय -06:18
सूर्यास्त -05:42
सूर्योदय कालीन नक्षत्र -स्वाति उपरांत विशाखा ,प्रीति-योग ,वा-करण
सूर्योदय कालीन ग्रह विचार-सूर्य -तुला ,चन्द्रमा -तुला, मंगल -मीन, बुध -तुला, गुरु -धनु -शुक्र -सिंह, शनि -धनु, राहु -वृष, केतु -वृश्चिक
उपाय
तांबे के लोटे में जल लें.थोड़ा लाल चंदन मिला दें।उसको सिरहाने रखकर रात को सो जाएं. प्रात: उठकर जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें. ऐसा करने से धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी।
आराधनाःॐआदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नःसूर्यःप्रचोदयात्॥
खरीदारी के लिए शुभ समयःदोपहर:
दोपहरः 01:30 से 03:00 तक
शुभराहु काल:16:30से 18:00
दिशाशूल-
नैऋत्य एवं पश्चिम
।।अथ राशि फलम्।।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
1. या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
2. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
News posted by : Radheshyam kushwaha