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Navratri 2024 5th Day Maa Skandmata Katha: नवरात्रि का 5वां दिन आज, देखें मां स्कंदमाता की कथा

Navratri 2024 5th Day Maa Skandmata Katha: आज 7 अक्टूबर 2024 को नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप, मां स्कंदमाता की पूजा की जा रही है. इन्हें स्कंदमाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे भगवान स्कंद, जो कार्तिकेय के रूप में जाने जाते हैं, की माता हैं. यहां देखें मां स्कंदमाता की कथा

By Shaurya Punj | October 7, 2024 8:29 AM
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Navratri 2024 5th Day Maa Skandmata Katha: आज 7 अक्टूबर 2024 को वैदिक पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पंचम दिन है. इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप मानी जाती हैं. स्कंदमाता की आराधना करने से संतान प्राप्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और मां आपके बच्चों को लंबी उम्र प्रदान करती हैं.

मां स्कंदमाता की व्रत कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, तारकासुर नामक एक दुष्ट राक्षस था, जिसका आतंक अत्यधिक बढ़ गया था. किंतु तारकासुर का नाश कोई भी नहीं कर सकता था, क्योंकि केवल भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के द्वारा ही उसका विनाश संभव था. इस स्थिति में, मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद, अर्थात कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने हेतु स्कंदमाता का रूप धारण किया. स्कंदमाता से युद्ध की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत, कार्तिकेय ने तारकासुर का संहार किया.

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नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है. इन्हें स्कंदमाता का नाम इसलिए मिला है क्योंकि वे देव स्कन्द कुमार, अर्थात् कार्तिकेय जी की माता हैं. स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय अपने बाल रूप में विराजमान हैं. मां स्कंदमाता देवी के चार भुजाएं हैं. दाहिनी ऊपरी भुजा में उन्होंने स्कन्द देव को गोद में लिया हुआ है, जबकि दाहिनी निचली भुजा में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है, जो ऊपर की ओर उठ रहा है. स्कंदमाता का रंग पूर्णतः श्वेत है.

यह सदैव कमल के फूल पर स्थित रहती हैं, जिसके कारण इन्हें देवी पद्मासन के नाम से जाना जाता है. इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी के नाम से भी पहचाना जाता है. देवी स्कंदमाता का वाहन सिंह है और यह सूर्यमंडल में उपस्थित अधिष्ठात्री देवी का रूप हैं. इनकी पूजा और आराधना करने से भक्तों को तेज और कांति की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति एकाग्रता और पूर्ण निष्ठा के साथ देवी स्कंदमाता का ध्यान करता है, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. वह भक्त संसार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है.
जय माता दी
जय स्कंदमाता की

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