Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri Katha: नवरात्रि के सातवें दिन पढ़ें मां कालरात्रि की कथा

Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri katha: आज नवरात्रि का सातवां दिन है, जब मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है. यह मान्यता है कि मां कालरात्रि की आराधना करने से भक्त को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और शत्रुओं का विनाश होता है.

By Shaurya Punj | October 9, 2024 8:12 AM

Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri Katha:  सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. नवरात्र का आरंभ 03 अक्टूबर से हुआ है और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा. इस दौरान माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत का आयोजन विभिन्न दिनों में किया जाता है. नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है. यह मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के इस दिन पूजा के समय मां कालरात्रि की कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए, जिससे साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. आइए, हम मां कालरात्रि व्रत कथा का अध्ययन करते हैं.

एक प्राचीन कथा के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नामक राक्षसों ने तीनों लोकों में भय का माहौल बना रखा था. इन राक्षसों के आतंक से परेशान होकर सभी देवताओं ने भगवान शिव के पास जाकर इस समस्या का समाधान मांगा. भगवान शिव ने माता पार्वती को इन राक्षसों का नाश करने का निर्देश दिया. इसके फलस्वरूप, माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया.

Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि कि ऐसे करें पूजा

जब रक्तबीज के वध का समय आया, तब उसके शरीर से निकले रक्त से अनगिनत रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए. यह वरदान रक्तबीज को प्राप्त था कि यदि उसके रक्त की एक बूंद भी धरती पर गिरे, तो उसके समान एक और दानव प्रकट हो जाएगा. इस स्थिति में, देवी दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को प्रकट किया. इसके पश्चात, मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को भूमि पर गिरने से पूर्व ही अपने मुख में समाहित कर लिया. इस प्रकार, रक्तबीज का अंत हुआ.

मां कालरात्रि पूजा मंत्र (Maa Kalratri Puja Mantra)


मां कालरात्रि की पूजा के दिन लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाले कष्टों से भी मुक्ति मिलती है –

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।

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