Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की ऐसे करें पूजा

Navratri 2024 7th Day Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के कालरात्रि रूप की आराधना की जा रही है. यह माना जाता है कि इनकी उपासना से अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. यहां जानें आज नवरात्रि के सातवें दिन 9 अक्टूबर 2024 को कैसे करें पूजा

By Shaurya Punj | October 9, 2024 9:23 AM

Navratri 2024  7th Day Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है. यह मान्यता है कि इस स्वरूप की आराधना करने से भक्त बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं और अकाल मृत्यु का डर नहीं होता. इसके अतिरिक्त, यह भी कहा जाता है कि इनकी पूजा से विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति होती है.

मां कालरात्रि का ऐसा है स्वरूप

9 अक्टूबर 2024, यानी आज नवरात्रि का सातवां दिन है. इस दिन मां के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. मां कालरात्रि का शरीर अंधकार के समान काला है. उनके लंबे और बिखरे हुए बाल हैं. मां के गले में एक माला है, जो बिजली की तरह चमकती रहती है. मां कालरात्रि के चार हाथ हैं, जिनमें खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा विद्यमान हैं.

मां कालरात्रि पूजा विधि


देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप की पूजा प्रातः और रात्रि दोनों समय की जाती है. इनकी आराधना से पूर्व देवी काली की प्रतिमा के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित करें. तत्पश्चात, रोली, अक्षत और गुड़हल के फूल माता की तस्वीर के समक्ष अर्पित करें. अंत में, आप अपने परिवार के साथ कपूर या दीपक से माता की आरती करें और जयकारे लगाएं. आप सुबह और शाम आरती के साथ दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, मां कालरात्रि की रुद्राक्ष की माला से मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत लाभकारी होता है.

मां कालरात्रि का भोग: मां कालरात्रि को गुड़ विशेष रूप से प्रिय है. यह मान्यता है कि नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ का भोग माता रानी को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

नवरात्रि के सातवें दिन का शुभ रंग: मां कालरात्रि को लाल रंग बहुत पसंद है. इसलिए, मां कालरात्रि की पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करना शुभ होता है.

मां कालरात्रि मंत्र


ॐ कालरात्र्यै नम:.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि.
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी.
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ..

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