Navratri 7th Day Maa Kalratri ki Puja: आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है. आज चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जा रही है. मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं. मां कालरात्रि के चार हाथ हैं. मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है, इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और इनका वाहन गधा है. लेकिन मां कालरात्रि भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं. इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि नवरात्रि के सातवें दिन आप मां कालरात्रि को कैसे प्रसन्न कर सकते है.
मां कालरात्रि पूजा विधि
मां कालरात्रि की तस्वीर और चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करें. फिर मां कालरात्रि को रोली कुमकुम लगाकर, फूल, फल आदि चीजें अर्पित करें. माता को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें. दुर्गा चालीसा का पाठ करें, हवन करें और मां कालरात्रि को गुड़ से बनाएं मालपुए का भोग जरूर लगाएं. इसके बाद पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं. फिर मां के आगे घी का दीपक जलाकर पूजा मंत्र पढ़ें, इसके बाद मां कालरात्रि की कथा पढ़ें और आरती करें.
कालरात्रि माता को क्या चढ़ाया जाता है?
मां कालरात्रि को गुड़हल के फूल चढ़ाएं जाते हैं और गुड़ का भोग लगाया जाता है, इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें और पूरे परिवार के साथ जयकारे लगाएं. सुबह शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जप करना चाहिए. लाल चंदन की माला से मंत्रों का जप करें.
कालरात्रि माता को क्या भोग लगाना चाहिए?
मां कालरात्रि की आराधना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है. माता कालरात्रि की पूजा सुबह और रात के समय में भी की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मां को रातरानी का फूल बहुत पसंद है, इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाएं. क्योंकि माता कालरात्रि को गुड़ प्रिय है.
मां कालरात्रि स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
कालरात्रि स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कालरात्रि ध्यान मंत्र
करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
कालरात्रि प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय महाकाली। काल के मुंह से बचानेवाली ।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा ।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा ।।
खड्ग खप्पर रखनेवाली। दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी ।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली मां जिसे बचावे ।।
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय ।।
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