Navratri Maha Navami 2024 Date: महानवमी व्रत तिथि को लेकर ना हो कंफ्यूज, यहां देखें सही डेट

Navratri Maha Navami 2024 Date: महा नवमी, जिसे दुर्गा नवमी के नाम से भी जाना जाता है, नवरात्रि के अंतिम दिन मनाई जाती है. यह पर्व भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.

By Shaurya Punj | October 9, 2024 5:50 PM

Navratri Maha Navami 2024 Date:  सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, जो व्यक्ति नवरात्रि के व्रत का विधिपूर्वक पालन करता है, उसे जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी व्रत का आयोजन किया जाता है. हालांकि, इस वर्ष महानवमी व्रत की तिथि को लेकर कुछ लोगों में संदेह उत्पन्न हो गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि महान नवमी व्रत कब मनाया जाएगा और इसका पूजा में क्या महत्व है.

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नवरात्रि महा नवमी 2024 का मुहूर्त और तिथि

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ होगी. यह नवमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी. महा नवमी की पूजा 11 अक्टूबर को ही आयोजित की जाएगी. वहीं, नवरात्रि का पारण 12 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा.

क्या 2024 में अष्टमी और नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी?

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी पूजा एक ही दिन, अर्थात् 11 अक्टूबर को की जाएगी. इस दिन महा अष्टमी और महा नवमी की पूजा होगी. 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से पहले अष्टमी की पूजा की जा सकती है, इसके बाद महा नवमी की पूजा की जाएगी. इसी दिन कन्या पूजा भी की जाएगी. महा अष्टमी और महा नवमी के अवसर पर 9 कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी की कृपा प्राप्त होती है. कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें कुछ भेंट अवश्य दें, जिससे घर में समृद्धि और संपन्नता बनी रहेगी.

मां सिद्धिदात्री की पूजा की विधि

नवरात्रि के अंतिम दिन, जिसे महा नवमी कहा जाता है, मां सिद्धिदात्री की पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन सबसे पहले सुबह के बाद देवी की आराधना करने और कन्या पूजा का संकल्प लेना आवश्यक है. इसके बाद, देवी को फूल और भोग अर्पित करें. अर्पित किए गए फूलों को लाल कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रखें. देवी को अर्पित किए गए खाद्य पदार्थों का वितरण पहले निर्धनों में करें और फिर स्वयं भी उनका सेवन करें.

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