Navratri & Pitrupaksha 2020 Date: 2020 Date : हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र शुरू हो जाता है और घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है. पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जायेगा. अधिकमास लगने के करण नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा.
आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना. ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होगा. इस साल दो आश्विन मास होंगे. आश्विन मास में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं. अधिकमास के कारण दशहरा 26 अक्टूबर और दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी. इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर 2020 से शुरू होकर 17 सिंतबर तक चलेगा. सभी श्राद्ध कर्मकांड इस दौरान किए जाएंगे और पितरों को तर्पण भी किया जाएगा. लोग अपने-अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान इस दौरान करते हैं ताकि पितरों का आशीर्वाद उन पर बना रहे.
लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है. चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा. पंडित डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि 160 साल बाद लीप ईयर और अधिमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं. चातुर्मास लगने के कारण विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे, इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है. इस दौरान देव सो जाते हैं. देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं. इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध खत्म होंगे. इसके अगले दिन अधिमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा. इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे.
25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी, जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे. इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे. बता दें कि इस समय चातुर्मास चल रहा है और चातुर्मास हमेशा चार महीने का होता है, लेकिन इस बार अधिकमास के कारण चतुर्मास पांच महीने का है. लीप ईयर होने के कारण ही ऐसा हुआ है और खास बात ये है कि 165 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में आए हैं. चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. केवल धार्मिक कार्य से जुड़े कार्य ही किए जा सकते हैं.
एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब छह घंटे का होता है. जबकि, एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है. यह अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिमास का नाम दिया गया है.
नवरात्रि दिन 1: प्रतिपदा माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना 17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)
नवरात्रि दिन 2: द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 18 अक्टूबर 2020 (रविवार)
नवरात्रि दिन 3: तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा 19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)
नवरात्रि दिन 4: चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)
नवरात्रि दिन 5: पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा 21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)
नवरात्रि दिन 6: षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)
नवरात्रि दिन 7: सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)
नवरात्रि दिन 8: अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)
नवरात्रि दिन 9: नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी 25 अक्टूबर 2020 (रविवार)
नवरात्रि दिन 10: दशमी दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)
News posted by: Radheshyam Kushwaha