इन 9 औषधियों में है स्वयं मां दुर्गा का वास, जानिए क्याें कहा गया इन्हे “दुर्गा कवच”
नवदुर्गा, यानि मां दुर्गा के नौ रूप .जो समस्त जग का कल्याण करती हैं. एक मान्यता के अनुसार मां इस धरा पर 9 औषधियों में भी विराजती हैं और समस्त रोगों से बचाकर जगत का कल्याण करती हैं. नवदुर्गा के इन स्वरुपों को मार्कण्डेय की चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना गया है और चिकित्सा के इस विशेष महत्व को ब्रह्मा उपदेश में दुर्गाकवच बताया गया है.
chaitra navratri 2020 जल्द ही नवरात्र के रंग में पूरा देश रंगा दिखने वाला है. इस साल 2020 में 25 मार्च बुधवार से चैत्र शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी. इसी दिन से हिंदू नवसंवत्सर भी आरंभ होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी.इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी शुरू हो जाएगा. जिसे चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी. नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है.इन नवों दुर्गा को पापों के विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परंतु यह सब एक हैं.
नवदुर्गा, navdurga यानि मां दुर्गा के नौ रूप .जो समस्त जग का कल्याण करती हैं. एक मान्यता के अनुसार मां इस धरा पर 9 औषधियों में भी विराजती हैं और समस्त रोगों से बचाकर जगत का कल्याण करती हैं. नवदुर्गा maa durga के इन स्वरुपों को मार्कण्डेय की चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना गया है और चिकित्सा के इस विशेष महत्व को ब्रह्मा उपदेश में दुर्गाकवच बताया गया है.
एक मत यह कहता है कि ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में हैं.ऐसा माना जाता है कि यह औषधियां इस जगत के प्राणियों के लिए रोगों को हरने वाली एक कवच का कार्य करती हैं इसलिए इसे दुर्गाकवच कहा गया है.
जानिए इन 9 औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है –
(1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है.यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है.
(2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है.इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है.
(3) चंद्रघंटा (चंदुसूर) : यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं.
(4) कूष्मांडा (पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है.इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है. मानसिक
रोगों में यह अमृत समान है.
(5) स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं. यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है.
(6) कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका.इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं.यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है.
(7) कालरात्रि (नागदौन) : यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं.यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है.
(8) महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र. ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है.
(9) सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं. यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है.