Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, पूजन सामग्री और आरती

Nirjala Ekadashi 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस एकादशी तिथि को सबसे कठोर एकादशी में से एक माना जाता है. आइए जानते है एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By Radheshyam Kushwaha | June 7, 2024 3:38 PM

Nirjala Ekadashi 2024: एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है और सभी एकादशी तिथियों का अपना अपना महत्व है. साल 26 एकादशी पड़ती है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस एकादशी तिथि को सबसे कठोर एकादशी में से एक माना जाता है. निर्जला एकादशी व्रत के दौरान पानी तक पीने की मनाही होती है. इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं, इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी का व्रत रखने से दीर्घायु और मोक्ष प्राप्ति का वरदान मिलता है. आइए जानते हैं निर्जला एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है…

कब है निर्जला एकादशी व्रत

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून की सुबह 02 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 18 जून को सुबह 04 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 17 जून को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी व्रत का पारण स्मार्त लोग 18 जून को करेंगे. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, स्मार्त लोग निर्जला एकादशी व्रत 17 जून को रखेंगे. वहीं वैष्णव लोग 18 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे.

एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, चौकी, पीला कपड़ा, दीपक, आम के पत्ते, कुमकुम, फल, फूल, मिठाई, अक्षत, पंचमेवा, धूप समेत अन्य पूजा सामग्री शामिल करें.

निर्जला एकादशी पूजा विधि

भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें, इसके बाद विष्णु जी की पूजा करें. इस दौरान उन्हें फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत, भोग लगाने के साथ-साथ विष्णु मंत्र, विष्णु चालीसा, एकादशी व्रत कथा का पाठ कर लें, इसके साथ ही मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं. फिर दीपक जलाकर आरती करें. इस दिन अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में भोजन, कपड़े और धन का दान करें. इस दिन आप व्रत में ध्यान रखें कि जल या अन्न कुछ ग्रहण नहीं करना है.

निर्जला एकादशी 2024 महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है, इस दिन अन्न और पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है. निर्जला एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी कहा जाता है, इस दिन बिना जल ग्रहण किए दिनभर व्रत रखा जाता है, इसे सबसे कठोर एकादशियों में से एक माना जाता है. इस एकादशी को भीमसेनी, पांडव एकादशी के नाम से भी जानते हैं. भगवान विष्णु से संबंधित भजन, कीर्तन करते है. इसके साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े, खाना, पानी, वस्त्र आदि का दान करते हैं.

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निर्जला एकादशी व्रत पूजा आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

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