Palmistry: अगर आपकी हथेली में हैं रेखाएं, तो आपको 42 सालों के बाद मिल सकता है राजयोग
Palmistry: हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार, हथेली में उपस्थित रेखाएं कई विशेष योगों का निर्माण करती हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण योग राज्य योग है. यह योग किसी जातक को 42 वर्ष की आयु के बाद शुभ परिणाम प्रदान करता है. इस योग का विस्तृत वर्णन हस्तरेखा ज्योतिष के विशेषज्ञ डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली ने अपनी पुस्तक 'वृहद हस्तरेखा शास्त्र' में किया है.
Palmistry: हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति की हथेली में विभिन्न प्रकार की रेखाएं और आकृतियां होती हैं. इन रेखाओं का विश्लेषण करके व्यक्ति के भाग्य, स्वास्थ्य, विवाह, संतान और सुख-सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसके अतिरिक्त, मनुष्य की हथेली में कई प्रकार के चिन्ह या निशान भी होते हैं, जिन्हें अत्यंत शुभ माना जाता है. यह माना जाता है कि जिन व्यक्तियों की हथेली में विशेष प्रकार के शुभ निशान होते हैं, वे अपने जीवन में अपार सफलता, मान-सम्मान और धन-सम्पत्ति प्राप्त करते हैं.
इस रेखा से होता है भाग्योदय
हाथ में धन की कई रेखाएं हो सकती हैं. यदि चंद्र पर्वत से कोई भाग्य रेखा निकलकर शनि पर्वत तक पहुंचती है, तो यह विवाह के बाद धन की प्राप्ति का संकेत देती है. इसके अतिरिक्त, यदि जीवन रेखा या आयु रेखा से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचती है, तो ऐसे व्यक्तियों को 42 वर्ष की आयु में उन्नति प्राप्त होती है. ऐसे लोगों के पास धन के आगमन के दो स्रोत होते हैं. यदि जीवन रेखा से कोई रेखा सूर्य पर्वत तक पहुंचती है, तो यह एक अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है.
40 वर्ष के बाद अचानक किस्मत में परिवर्तन होता है.
जिन व्यक्तियों की हथेली में ‘H’ का चिन्ह होता है, उनकी किस्मत 40 वर्ष की आयु के बाद तेजी से बदल जाती है. वे इस उम्र के बाद अपने जीवन में उल्लेखनीय प्रगति करते हैं.
यदि कनिष्ठिका उंगली अत्यधिक लंबी हो और शुक्र पर्वत के नीचे स्वस्तिक का चिन्ह उपस्थित हो, तो इसे भी ‘राज्य योग’ कहा जाता है. जिन व्यक्तियों की हथेली में गुरु पर्वत प्रबल हो और उस पर से रेखा सूर्य पर्वत की दिशा में जाती हुई दिखाई दे, उनके लिए भी ‘राज्य योग’ का निर्माण होता है
जिनकी हथेली में ‘राज्य योग’ विद्यमान है, उनका भाग्य 42 वर्ष की आयु के बाद जागृत होता है और उन्हें आर्थिक लाभ प्राप्त होता है. राज्य योग वाले व्यक्ति सभी सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन जीते हैं. 42 वर्ष के बाद ऐसे व्यक्तियों को भूमि और वाहन का सुख प्राप्त होता है. ये व्यक्ति चतुर होते हैं और संकट के समय में धैर्यपूर्वक कार्य करते हैं.