23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पद-प्रतिष्ठा व धन वृद्धि के लिए सावन में करें रुद्राक्ष धारण, बनेगा विवाह योग और दूर होगा पति पत्नी में क्लेश

Rudraksh dharan karne ki vidhi: भगवान शिव रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए पार्वती जी से कहते हैं कि जहां कहीं भी रूद्राक्ष का पूजन किया जाता है. वहां से लक्ष्मी जी कभी दूर नहीं जाती. रूद्राक्ष को धारण करने वाले मनुष्य की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं.

Rudraksh: सनातन धर्म के अनुसार भगवान शिव आदिदेव हैं, परम् ब्रह्म है. शिव स्वयम्भू है. अर्थात स्वयं से उत्पन्न. शिव की आराधना से मनुष्य की हर आकांक्षा पूर्ण होती है. भगवान शिव की आराधना का अत्यन्त शुभ समय सावन मास है. रुद्राक्ष शिवभक्ति का परम सूचक है. रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतिरूप माना जाता है. श्रीमदभागवत देवी पुराण में भगवान शिव अपने पुत्र कार्तिकेय जी को रूद्राक्ष की उत्पत्ति के विषय में बताते हैं कि प्राचीन काल में त्रिपुर नाम असुर से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए मैंने एक हजार वर्षों तक तप किया. मेरी आंखों से अश्रु निकलकर धरती पर गिर पड़े. जहां-जहां मेरे अश्रु की बूंदें गिरी वहां-वहां रूद्राक्ष का जन्म हुआ. शिव पुराण में भगवान शिव रूद्राक्ष की महिमा और उसकी उत्पत्ति के विषय में माता पार्वती जी से कहते हैं कि एक हजार वर्षों तक घोर तपस्या करने के पश्चात एक दिन उनका मन क्षुब्ध हो उठा. उस समय लीलावश ही मैंने अपने दोनों नेत्र खोले नेत्र खुलते ही जल की कुछ बूंदें पृथ्वी पर जा गिरी. जिससे रूद्राक्ष की उतपत्ति हुई.

Rudraksh Dharan: भगवान शिव रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन

भगवान शिव रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए पार्वती जी से कहते हैं कि जहां कहीं भी रूद्राक्ष का पूजन किया जाता है. वहां से लक्ष्मी जी कभी दूर नहीं जाती. रूद्राक्ष को धारण करने वाले मनुष्य की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं. शिवपुराण के अनुसार सभी आश्रमों, समस्त वर्णों, स्त्रियों को भगवान शिव की आज्ञानुसार सदैव रूद्राक्ष धारण करना चाहिए. शिवपुराण में भगवान शिव ने 14 प्रकार के रुद्राक्ष का वर्णन , उनके भेदों और मंगलकारी विधानों का वर्णन किया है. ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति को रुद्राक्ष शुभ नक्षत्र, तिथि, वार को धारण करने से अत्यंत लाभ होता है. सावन मास में विशेषकर सोमवार या शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है. इस वर्ष सावन मास में अधिकमास पड़ने के कारण 2 शिवरात्रि मनाई जाएगी. प्रथम शिवरात्रि 15 जुलाई को और दूसरी शिवरात्रि 14 अगस्त को मनाई जाएगी. सावन की शिवरात्रि या सावन सोमवार को रुद्राक्ष धारण मनुष्य के सभी कष्टों को दूरकर अभीष्ट सिद्धि करता है.

Rudraksh Dharan: रुद्राक्ष कब और किसे धारण करना चाहिए 

01- एकमुखी रुद्राक्ष

राजनैतिक या प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की कामना है तो जातक को एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है. राजनैतिक या प्रशासनिक पद प्रतिष्ठा के लिए जन्मकुण्डली में सूर्य देव का बली होना अत्यंत आवश्यक है. सूर्य राजसत्ता, तेज , सिहासन का द्योतक है. एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सूर्य देव को बल प्राप्त होता है, जिसके कारण पद, प्रतिष्ठा, मान सम्मान में अप्रत्याशित वृद्धि होती है. यदि जातक सरकारी सर्विस में है, अथवा राजनैतिक क्षेत्र में राज्य या सत्ता सुख प्राप्त करनें की आकांक्षा है तो जातक को एकमुखी रुद्राक्ष विधिविधान के साथ धारण करना चाहिए.

ॐ ह्रीं नमः के जप के साथ इसे धारण किया जाना चाहिए.

Also Read: Sawan Purnima 2023: अधिकमास पूर्णिमा और सावन पूर्णिमा कब है, रक्षाबंधन को लेकर यहां करें कंफ्यूजन दूर
02- द्विमुखी रुद्राक्ष

द्विमुखी रुद्राक्ष को शिवपुराण में देवदेवेश्वर कहा गया है. यदि जातक के दाम्पत्य जीवन मे सुख का अभाव है अथवा जातक अनिद्रा, मानसिक तनाव, अवसाद से पीड़ित है, मन किसी भी कार्य मे नही लगता, तो द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत लाभकारी होगा. शिवपुराण के अनुसार  ॐ नमः  के जप के साथ इसे धारण किया जाना चाहिए.

03- त्रिमुखी रुद्राक्ष

त्रिमुखी रुद्राक्ष को साक्षात साधन का फल देने वाला कहा गया है. शिवपुराण के अनुसार इसके प्रभाव से समस्त विद्यायें प्रतिष्ठित होती हैं. यह देवी सरस्वती का देवतत्व है. यदि जातक प्रतियोगी परीक्षा में भाग ले रहा है अथवा अपनी सन्तान की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि चाहता है तो इसे धारण कराना अत्यंत लाभप्रद है. ॐ क्लीं नमः के जप के साथ सावन मास में धारण करना अत्यंत शुभ है.

04- चतुर्मुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण के अनुसार चतुर्मुखी रुद्राक्ष साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है. ज्योतिष के अनुसार यदि जातक लेखन, काव्य , साहित्य के क्षेत्र में जहां कल्पनाशीलता की आवश्यकता है. नाम कमाना चाहते है तो यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है. यदि जातक कमीशन एजेण्ट के रूप में कार्य करता है अथवा ऐसे व्यापार में है, जहां पर वाणी की कुशलता की जरूरत है तो इसे ॐ ह्रीं नमः के जप के साथ सावन मास के सोमवार को अथवा सावन शिवरात्रि में धारण करना चाहिए.

05- पंचमुखी रुद्राक्ष

पंचमुखी रुद्राक्ष के विषय मे शिवपुराण में भगवान शिव पार्वती जी को इसकी महिमा बताते हुए कहते है कि पंचमुख वाला रुद्राक्ष कालाग्निरूरस्वरूप है. यह सब कुछ करने में समर्थ है. ज्योतिष के अनुसार इसे धारण करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते है. यदि जातक की धन, बैभव , सन्तान , आध्यात्मिक उन्नति की कामना हैं तो इसे अवश्य धारण करना अवश्य लाभप्रद है. यदि जातक लिवर की समस्या या अधिक मोटापे से परेशान तो भी यह लाभकारी है. इसे ॐ ह्रीं नमः  के जप के साथ धारण करना चाहिए.

06- छहमुखी रुद्राक्ष

छहमुखी रुद्राक्ष को कार्तिकेयजी का स्वरूप माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार इसे धारण करने से शुक्र देव प्रसन्न होते है. विशेष योजना, विशेष कार्य अथवा भौतिक सुखसाधन में वृद्धि के लिए , अथवा जातक का विवाह नही हो रहा, अथवा जातक इत्र, पुष्प, सौंदर्य आभूषण का व्यापार करता है अथवा यदि जातक गायन, संगीत, वादन, नृत्य में रुचि रखता है तो इसे सावन मास में धारण करना अत्यन्त शुभ है. शिवपुराण के अनुसार इसे धारण करने वाला मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है. इसे ॐ ह्रीं हुं नमः के जप के साथ धारण करना चाहिए. 

07- सातमुखी रुद्राक्ष

सात मुखी रुद्राक्ष को शिवपुराण में ऐश्वर्य स्वरूप कहा गया है. ज्योतिष के अनुसार यह लक्ष्मी, धन, ऐश्वर्य को प्रदान करने वाला है. इसका पूजन कर खजाने में भी रखा जा सकता है, इससे लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहेगी. यदिजातक किसी ऐसे व्यापार में है, जहां पर उसे अपने कर्मचारियों से सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य लेना है तो यह अत्यंत लाभदायक है. इसे ॐ हुं नमः के जप के साथ सावन मास में धारण करना अत्यंत शुभकारी है.

08- अष्टमुखी रुद्राक्ष

अष्टमुखी रुद्राक्ष को शिवपुराण में भैरव स्वरूप कहा गया है. शिवपुराण के अनुसार इसको धारण करने वाला मनुष्य पूर्ण आयु को प्राप्त करता है. यदि जातक के जीवन में बाधाएं बहुत है, जो भी कार्य किया जाता है उसमें असफलता ही हाथ लगती है तो जातक को अष्टमुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए. यदि जातक शेयर मार्केट से संबंधित व्यापार करता है, अथवा तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने का इच्छुक है तो भी यह अत्यन्त मंगलकारी है. इसे ॐ हुं नमः के जप के साथ सावन मास में धारण करने से पूर्ण फल प्राप्त होता है.

09- नवमुखी रुद्राक्ष

नवमुखी रुद्राक्ष शिवपुराण के अनुसार साक्षात मां दुर्गा का प्रतीक है. नवरात्रि के दिनों में इसके पूजन से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते है. यदि जातक अपने भीतर कमजोरी का अनुभव करते है अथवा किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए सोच रहे है परंतु हिम्मत नहीं जुटा पा रहे तो जातक को नवमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. यदि जातक किसी गुप्त विद्या की प्राप्ति चाहते है तो भी यह शुभफलदायक है. ॐ ह्री हुं नमः के जप के साथ सावन मास में इसे धारण करना पूर्ण लाभदायक है.

10- दसमुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण में दसमुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का रूप कहा गया है. शिवपुराण में भगवान शिव कहते है- हे देवी इसको धारण करने से मनुष्य की समस्त मनोकांक्षा पूर्ण होती है. ज्योतिष के अनुसार इसको धारण करने से देवगुरु ब्रहस्पति प्रसन्न होते है. यदि भाग्य साथ नही दे रहा, स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाई है, अथवा बड़े भाई से सम्बन्ध ठीक नहीं है, अथवा शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाई आ रही है या सन्तान प्राप्ति में बाधा है तो दसमुखी रुद्राक्ष सावन मास के किसी सोमवार को विधिविधान के साथ धारण करना चाहिए. ॐ ह्रीं नमः के जप के साथ इसे धारण करना अत्यंत शुभ है.

Also Read: शनि देव हुए वक्री, कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या का कष्टकारी समय शुरू, इन राशियों पर साढ़ेसाती का कष्टमय चरण

11- ग्यारहमुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण में ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को साक्षात रुद्र स्वरूप कहा गया है, इसको धारण करने से मनुष्य सर्वत्र विजयी होता है. भाग्य वृद्धि, सम्मान के लिए इसे ॐ ह्रीं हुं नमः के साथ धारण करना चाहिये. 

12- बारहमुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण के अनुसार बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मस्तक पर बारहो आदित्य विराजमान हो जाते हैं. यदि जातक सरकारी सर्विस में है और जातक के अधीनस्थ कर्मचारी जातक के नियंत्रण में नहीं है, अथवा जातक को अपने भीतर ऊर्जा की कमी महसूस होती है, या जातक को ह्रदय सम्बन्धी कोई कठिनाई है , अथवा जातक के अपने पिता के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं है तो यह रुद्राक्ष सावन मास में धारण करना अत्यंत लाभकारी है. इसे ॐ नमः के जप के साथ धारण कर सकते है.

13- तेरहमुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण के अनुसार तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वदेवो का स्वरूप है. इसको धारण करने से मनुष्य सौभाग्य और मंगललाभ प्राप्त करता है. महालक्ष्मी जी की कृपादृष्टि बनाए रखने के लिए यह अत्यंत लाभकारी है. ॐ ह्रीं नमः के जप के साथ इसे पहनना अत्यंत शुभ है. 

14- चौदहमुखी रुद्राक्ष

चौदहमुखी रुद्राक्ष परम् शिवरूप है. शिवपुराण के अनुसार जो मनुष्य इसे भक्तिभाव से मस्तक पर धारण करता है उसके समस्त पापो का नाश हो जाता है. यदि जातक शनि ग्रह से पीड़ित है , भयानक संकट में है , अथवा बार बार अस्पताल जाना पड़ रहा है , जातक की जन्मकुंडली में विषयोग है तो चौदहमुखी रुद्राक्ष सावन मास में विधिपूर्वक धारण करना चाहिए. ॐ नमः के साथ इसे धारण किया जाना चाहिए.

रुद्राक्ष को राशि या लग्न के अनुसार धारण के नियम

शिवपुराण में रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए भगवान शिव कहते है कि रुद्राक्ष मालाधारी मनुष्य को देखकर मैं शिव , भगवान विष्णु , देवी दुर्गा , गणेश , सूर्य तथा अन्य देवता भी प्रसन्न हो जाते है. रुद्राक्ष को राशि या लग्न के अनुसार भी धारण किए जाने से शुभकारी प्रभाव मिलते हैं. राशि या लग्न के अनुसार जातक को निम्न रुद्राक्ष धारण करना चाहिए…

राशि अनुसार धारण करें रुद्राक्ष

01- मेष राशि/लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह मंगल, गुरु हैं. ऐसे जातक त्रिमुखी और पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

02 – वृषभ राशि / लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह बुध, शनि हैं. उन्हें चतुर्मुखी, सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.

03 – मिथुन राशि / लग्न के जातक के लिए बुध, शुक्र शुभ ग्रह हैं. ऐसे जातक चतुर्मुखी, षष्टमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है.

04 – कर्क राशि / लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह चन्द्र और मंगल हैं . ऐसे जातक उन्नति के लिये त्रिमुखी, द्विमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

05 – सिंह राशि / लग्न के जातक के लिए सूर्य, मंगल शुभ ग्रह हैं. उन्हें त्रिमुखी और द्वादशमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.

06 – कन्या राशि /लग्न के जातक के लिए बुध शुभ ग्रह है. ऐसे जातक चतुर्मुखी, षष्टमुखी रुद्राक्ष मनोकामना पूर्ति के लिए धारण कर सकते हैं.

07 – तुला राशि /लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह शुक्र, शनि हैं. इच्छापूर्ति के लिए ऐसे जातक षटमुखी, सप्तमुखी, एकादशमुखी, अथवा चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

08- वृश्चिक राशि /लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह गुरु, चन्द्र हैं. ऐसे जातकों को द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.

09 – धनु राशि / लग्न के जातकों के लिए शुभ ग्रह गुरु और रवि हैं. उन्हें पंचमुखी, द्वादशमुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए.

10 – मकर राशि /लग्न के जातक के लिए शुभ ग्रह शनि, शुक्र हैं. ऐसे जातक षष्टमुखी, सप्तमुखी, एकादशमुखी और चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

11 – कुंभ राशि / लग्न के जातक के लिए शनि, शुक्र शुभ ग्रह है. इसलिए ऐसे जातक षष्टमुखी, सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

12- मीन राशि / लग्न के जातक के लिए गुरु, मंगल शुभ ग्रह है. ऐसे जातक त्रिमुखी, और पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकतें हैं.

भगवान शिव का प्रतीक स्वरूप है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक स्वरूप है. इसका फल हमेशा सकारात्मक होता है, इसलिए राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण किये जा सकते हैं. परन्तु रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य को सात्विक नियमों का पालन अनिवार्य है. रूद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य को तामसिक वस्तुओं का प्रयोग वर्जित है. सुतक-पातक काल में रूद्राक्ष काल प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा रूद्राक्ष का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.

राजीव ‘आचार्य’

ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री

(लेखक- उत्तर प्रदेश सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री है)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें