धनिष्ठा नक्षत्र व तीन शुभ योग में 5 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी, जानें तिथि और पूजा विधि
धनिष्ठा नक्षत्र में 5 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी. पापों के प्रायश्चित के लिए इस एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. जानिए व्रत की तिथि और समय.
पापमोचनी एकादशी : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. इस साल चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे पापमोचनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, 5 अप्रैल (शुक्रवार) को धनिष्ठा नक्षत्र में मनाई जाएगी. इस पवित्र दिन पर साधु-संत, वैष्णव और गृहस्थ सभी मिलकर एकादशी का व्रत रखेंगे.
क्या है पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व ?
वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, जिनमें पापमोचनी एकादशी का विशेष स्थान है. पुराणों के अनुसार, जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित करने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत रखना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस पवित्र दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, गजेन्द्रमोक्ष का पाठ, श्रीमद्भागवत का पाठ और भगवान विष्णु के नाम का जप किया जाता है.
क्या है एकादशी तिथि और व्रत का समय ?
चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल को दोपहर 11:36 बजे शुरू होगी और 5 अप्रैल को सुबह 9:26 बजे तक रहेगी. सूर्योदय के अनुसार उदया तिथि में पड़ने वाली एकादशी तिथि के कारण पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा.
क्या रहेगा पापमोचनी एकादशी व्रत के पारण का समय ?
पापमोचनी एकादशी का पारण 6 अप्रैल को किया जाएगा. पारण से पहले स्नान और पूजा करने के बाद अन्न, वस्त्र, फल, घी और स्वर्ण आदि का दान किया जाएगा. इसके बाद ही गाय के घी से पारण किया जाएगा.
विशेष संयोग में हो रहा है व्रत
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल पापमोचनी एकादशी पर साध्य योग, शुभ योग और सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. ऐसे शुभ योगों में व्रत रखना और भी कल्याणकारी होगा.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847
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