Narak Chaturdashi 2023: क्या आप जानते है नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि

Narak Chaturdashi 2023: नवंबर का महीना व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद खास है. इस बार धनतेस 10 नंवबर को मनाया जाएगा, इसके अगले दिन छोटी दिवाली है, जिसे नरक चतुर्दशी, नरक चौदस और कार्तिक मास के चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.

By Radheshyam Kushwaha | November 3, 2023 12:29 PM
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इस बार कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दोपहर से लग जाएगी, जो 12 नवंबर यानि दिवाली के दित तक रहेगी. नरक चतुर्दशी के दिन यम देव, मां काली और श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इस दिन शाम के समय दीपक जलाने की परंपरा है.

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हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाया जाता है, इस साल नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को है. इस बार चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा, इस बार मां काली, हनुमान जी और यम देव की पूजा के लिए 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली मनाया जााएगा.

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अभ्यंग स्नान का समय कब है

नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है, इस बार अभ्यंग स्नान का समय 12 नवंबर को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है.

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नरक चतुर्दशी पर दीपक जलाने का महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीया जलाने की परंपरा है, इस दिन सूर्यास्त के पश्चात 05 बजकर 27 मिनट से पूर्व यमराज जी के नाम कुल 14 दीपक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके प्रज्वलित किया जाता है, इस दिन दीप प्रज्वलित कर हाथ जोड़कर यम देव से अपने और अपने परिजनों की दीर्घायु और अच्छी सेहत के लिए कामना किया जाता है.

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नरक चतुर्दशी का महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन सुबह के समय यानि सूर्योदय से पहले तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियों को जल में डालकर स्नान चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से सिर्फ अलौकिक सौंदर्य और रूप की ही नही प्राप्ति होती हैं, इससे स्वास्थ्य की सारी परेशानियां भी दूर हो जाती है.

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