Pitra Moksha Amavasya 2020 Date: पितृपक्ष में भूल कर भी न बनाएं रसोई में ये चीजें, जानें इन दिनों ये गलतियां करने पर पितृ हो जाते है क्रोधित
Pitra Moksha Amavasya 2020 Date: आज एकादशी तिथि है. पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. यह आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन विशेष श्राद्ध करने की परंपरा है, जिनकी मृत्यु सौभाग्यवती रहते हुए हो जाती है. पितृपक्ष में अनुष्ठान और तर्पण से पितरों को संतुष्ट किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितृ किसी भी रूप में आकर भोजन कर सकते है.
Pitra Moksha Amavasya 2020 Date: आज एकादशी तिथि है. पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. यह आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन विशेष श्राद्ध करने की परंपरा है, जिनकी मृत्यु सौभाग्यवती रहते हुए हो जाती है. पितृपक्ष में अनुष्ठान और तर्पण से पितरों को संतुष्ट किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितृ किसी भी रूप में आकर भोजन कर सकते है. लेकिन हम कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जिससे पितृ नाराज हो कर लौट जाते हैं. ऐसे में श्राद्ध के दौरान कुछ नियमों को बरतना जरूरी होता है जिससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं.
पितृपक्ष में इन नियमों का करें पालन
– पितृपक्ष में पशु पक्षियों को अन्न-जल देना न भूलें, ऐसा करने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं.
– श्राद्ध में मांस-मछली नहीं खाना चाहिए, इससे पितृ नाराज हो जाते हैं. इसलिए पितरों का श्राद्ध करने वाले को सादा और सात्विक भोजन करना चाहिए.
– पितृपक्ष में प्याज-लहसुन भी वर्जित है, इसलिए तर्पन करने वाले को इन दिनों बिना प्याज लहसुन का खाना खाना चाहिए.
– इसके साथ तर्पण करने वाले को बासी खाना नहीं खाना चाहिए.
– काले तिल को तर्पण में इस्तेमाल करें. भूल कर भी लाल या सफेद तिल का इस्तेमाल न करें.
– ब्राह्मणों को बिना प्याज लहसुन वाला खाना खिलाना चाहिए, इसके साथ ब्राह्मणों को भी किसी के घर भोजन करने के बाद अपने घर पर कुछ भी नहीं खाना चाहिए.
– दरवाजे पर आए हुए को अन्न का दान देना चाहिए.
– ब्राह्मण को संतुष्ट करने के लिए खाने में नमक के साथ कुछ मीठा भी बनाकर खिलाएं.
– श्राद्ध में मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, चना, खीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग का इस्तेमाल न करें.
News Posted by: Radheshyam kushwaha