Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में भूल से भी न करें ये काम, नहीं तो झेलनी पड़ेगी पितरों की नाराजगी
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष शुरू हो चुका है. इस दौरान पितृलोक से पृथ्वी लोक पर पितरों के आने का मुख्य कारण उनकी पुत्र-पौत्रादि से आशा होती है की वे उन्हें अपनी यथासंभव शक्ति के अनुसार पिंडदान प्रदान करें.
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष शुरू हो चुका है. इस दौरान पितृलोक से पृथ्वी लोक पर पितरों के आने का मुख्य कारण उनकी पुत्र-पौत्रादि से आशा होती है की वे उन्हें अपनी यथासंभव शक्ति के अनुसार पिंडदान प्रदान करें. अतएवं प्रत्येक सद्गृहस्थ का धर्म है कि स्पष्ट तिथि के अनुसार श्राद्ध अवस्य करे यदि पित्र पक्ष मे परिजनों का श्राद्ध नहीं किया गया तो वे श्राप दे देते हैं और ये परिवार के सदस्यों पर अपना प्रभाव छोड़ सकता है, जिससे हानि होनी ही होनी है. अतः इस पक्ष में श्राद्ध अवश्य किया जाना चाहिये. आइए जानते है ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा से कुछ महत्वपूर्ण बातें…
1 – जो मनुष्य मैथुन तथा क्षौरकर्म यानि बाल कटवाकर या शेव करवाकर पितरी तर्पण अथवा श्राद्ध करता है, तो वह तर्पण का जल रक्त के सामान होता है, तथा तर्पण करने वाला नरक में जाता है.
2 – श्राद्धकर्ता को श्राद्ध के दिन दातुन, पान का सेवन, शरीर पर तेल की मालिश, उपवास, स्त्री संभोग, दवाई का सेवन तथा दूसरे का भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए.
3 – ब्राह्मण को एक हाथ से परोसे गये अन्न को राक्षस छीन लेते है, ब्राह्मण को आदरपूर्वक दोनो हाथों से भोजन परोसा जाना चाहिये.
4 – ब्राह्मण द्वारा सिर ढककर यानि टोपी – पगड़ी बांधकर, दक्षिण की तरफ मुंह करके और जूता-चप्पल पहनकर श्राद्ध का भोजन करने पर वह भोजन राक्षसों को मिलता है, पितरों को नहीं.
5 – श्राद्ध के दिन भोजन करने वाले ब्राह्मण को पुर्नभोजन (दुबारा खाना), यात्रा, भार ढोना,शारीरिक परिश्रम करना, मैथुन, दान, प्रतिग्रह तथा होम नहीं करना चाहिए.
6 – जो मनुष्य अपने घर श्राद्ध करके दूसरे के घर, या बाहर कही भोजन करता है तो उसे श्राद्ध का फल नहीं मिलता और वह पाप की भागी होता है.
7- श्राद्ध में गुस्सा, गाली, अपशब्द का इस्तेमाल अथवा क्लेश न करें.
8 – श्राद्ध मे लाल रंग के फूल तथा काली मिर्च जैसे तमोगुणी पदार्थों का इस्तेमाल न करें.
9 – श्राद्ध मे ॐ शब्द का प्रयोग न करें
10 – श्राद्ध में राजमा, मसूर, अरहर, गाजर, पेठा ( कुम्हड़ा ) गोल लौकी, बैंगन, शलजम, हींग, प्याज, लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, पिप्पली, सुपारी, कुलथी, कैथ, महुआ, अलसी, पीली सरसों, चना, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, बड़ी सरसों, काली सरसों और बासी, ठण्डा या जूठा भोजन, अपवित्र श्राद्ध में निषेध हैं. इस दौरान मांस, अंडा आदि नहीं खाना चाहिए.
11- श्राद्ध में श्रीखण्ड, सफ़ेद चन्दन, खस, गोपीचन्दन का ही प्रयोग करना चाहिए. श्राद्ध में कस्तूरी, रक्त चन्दन, गोरोचन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
12 – श्राद्ध में अग्नि पर अकेले घी नहीं डालना चाहिए. जैसा कि अन्य हवन-यज्ञादि मे किया जाता है.
संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
मोबाइल नंबर- 8080426594-9545290847