Pitru Paksha 2024: पुत्र के नहीं रहने पर पिता के श्राद्ध के अधिकारी कौन, जानें यहां

Pitru Paksha 2024: पुत्र के नही रहने पर क्या पुत्र वधु भी श्राद्ध करने का आधिकारी हो सकती है. पुत्र के अभाव में पुत्र वधु भी श्राद्ध की आधिकारी बन सकती है.

By Shaurya Punj | September 24, 2024 12:20 PM

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में में अपने पितरों को याद करने के लिए अलग अलग तरह से उपाय करते है ऐसे तो वर्ष में पितृ को तर्पण तथा दान करने का कई समय है लेकिन पितृ पक्ष जो भाद्रपद शुक्लपक्ष से आरम्भ होता है यह आश्विन मास कृष्ण अमावस्या तिथि तक चलता है. इस पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है इन्हें महालया श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है शास्त्र में भी मृतक को प्राप्त हुए जीवात्मा को पित्र अथवा पितृ कहा गया है पितृ स्मृति के निर्मित किए गए उपाय जैसे पंचबली के रूप गाय चिटी कुता कौवा आदि के रुप में अन्नादि का दान करना इस समय अपने पूर्वज की तर्पण तथा पिंड दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है पितृ पक्ष में पिंडदान करने के समय बहुत से प्रश्न उठता है श्राद्ध करने का आधिकारी कौन बन सकता है.

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पिता के श्राद्ध के अधिकारी कौन हो सकता है ?

शस्त्र में जगह जगह जगह उल्लेख आया है मृतक माता पिता के निर्मित श्राद्ध करने का अधिकार मुख्य रूप से ज्येष्ठ पुत्र को ही होता है प्रश्न यह बनता है. किसी पिता के कई पुत्र है उसमे से किनका अधिकार पिंड दान करने को बनेगा. इस अवस्था में बड़े बेटे का अधिकार है पिंड दान करने के लिए अगर बड़ा भाई अस्वस्थ्य है तब बड़े भाई के आज्ञा से छोटे भाई श्राद्ध कर सकता है. अगर परिवार संयुक्त रूप से हो तब वार्षिक श्राद्ध भी ज्येष्ठ पुत्र के द्वारा एक ही जगह संपन होगा.यदि पुत्र अलग अलग हो तो उन्हें वार्षिक आदि श्राद्ध अलग अलग करना चाहिए अगर पुत्र नहीं हो तो शास्त्र में श्राद्ध के अधिकारी पुत्र ,पौत्र , प्रपौत्र,पुत्री का पुत्र पत्नी ,भाई भतीजा ,पिता माता ,पुत्रवधु , बहन को सहोदक कहे गए है इनके श्राद्ध करने का अधिकार है .

पुत्र नहीं रहने पर पुत्रवधु श्राद्ध कर सकती है ?

श्राद्ध अपने पितरों को बड़ी श्रद्धा के साथ करनी चहिए उनके कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उनको याद करने के लिए किया जाता है. ऐसा माना जाता है, इस समय किए गए तर्पन तथा दान से पित्र ऋण से मुक्ति मिलती है, देवता भी प्रसन्न होते है. श्राद्ध के पक्ष में यह बात कई बार आती है. पुत्र के नहीं रहने पर क्या पुत्र वधु भी श्राद्ध करने का आधिकारी हो सकती है. पुत्र के अभाव में पुत्र वधु भी श्राद्ध की आधिकारी बन सकती है, माता सीता ने राजा दशरथ महाराज फल्गु नदी के किनार पर वट वृक्ष, केतकी के फूल, गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंडदान किया था.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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