Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष बहुत ही खाश होता है. पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए तथा परिवार में उन्नति के लिए पितृ पक्ष का विशेष समय होता है.पंचांग के अनुसार आश्विन मास कृष्ण पक्ष एकम तिथि से आरम्भ होता है, और यह 16 दिन तक चलता है,जो आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि तक चलता है. इस वर्ष तिथि का क्षय होने के कारण 14 दिन का पक्ष रहेगा.यह पक्ष पितरों का समर्पित है.इसका कारण है.
आज जो हमारा अस्तित्व है हमारे पूर्वजों का दिया हुआ है. इसलिए यह पक्ष विषेश तौर पर पितृ पूजन के लिए समर्पित है. इस समय हमारे पितृ पृथ्वी पर वास करते है फिर उनका तर्पण तथा पिंडदान करने के बाद पुनः बैकुंठ चले जाते है. यह पूजा सिर्फ आम लोग नही नही बल्कि देवता ऋषि भी अपने पूर्वजों का तर्पण इस समय करते है.यह वैदिक काल से चलता आ रहा है. इस साल पितृ पक्ष में केवल 14 दिन ही अपने पितरों का पिंडदान तथा तर्पण कर सकते है क्योंकि इस पक्ष में तिथी का क्षय होने के कारण एकम और दूज दोनो एक दिन ही पड़ा हुआ है.दोनो तिथी का श्राद्ध एक दिन ही होगा.
इस वर्ष पितृपक्ष में श्राद्ध का प्रारंभ 18 सितम्बर 2024 से होगा और यह 02 अक्तूबर 2024 को समाप्त होगा.इस पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध -तर्पण कर उनकी आत्मा को तृप्त करना प्रत्येक व्यक्ति को जरुरी है.इस पक्ष में अपने पितरों को श्राद्ध -तर्पण के मंत्रो से अपने श्रध्दा सहित समस्त गतात्मा को तृप्त करते है.इस पक्ष में अपने मृत्य पिता, दादा ,परदादा का तर्पण कर सकते है.देव कार्य से भी ज्यादा महतवपूर्ण पितरो का श्राद्ध और तर्पण माना जाता है.
पितृपक्ष में तर्पण कैसे करें ?
अपने पितरों का तर्पण तालाब के किनारे,जलाशय या घर से बाहर करे अपने पुरोहित को बुलाकर करे उत्तम रहेगा.
पितृ तर्पण सामग्री
पीतल या तांबे का लोटा, थाली कुश का आसनी, दूध, गंगाजल, चावल का आटा, काला तील, कुश, जौ, लाल फूल, पान के पता, सुपारी घी, रूई बाती, अगरबती, मिठाई,
पितृपक्ष में कब करें तर्पण तथा दान में क्या करें ?
पित्र का तर्पण तिथि के अनुसार किया जाता है. उनकी मृत्यु के दिन जो तिथी हो उसी तिथी को तर्पण किया जाता है.अगर आपको स्वर्गीय पिता का मृत्यु का तिथि ज्ञात नहीं हो वह अमावस्या तिथि को करे .तर्पण के बाद पितरों की शांति के लिए ब्राह्मण भोजन कराकर दक्षिणा दे.अगर किसी पुरुष का श्राद्ध हो ब्राह्मण को भोजन कराकर सफेद धोती, गंजी, गमछा फिर दक्षिणा देकर विदा करे.अगर महिला का श्राद्ध हो ब्राह्मण को साड़ी तथा दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करे. धर्म शस्त्र के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म से पितृ को संतोष प्राप्त होता है अपने वंशजो को आशिर्वाद प्राप्त होता हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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