Pitru Paksha 2020 kab hai: नव संवत्सर 2077 में तीन साल बाद एक अधिकमास होगा, इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं. यह संवत्सर 12 की बजाय 13 महीने के होंगे, जिसमें अश्विनमास के दो महीने होंगे. इन दो माह में बीच की अवधि वाला एक माह का समय अधिमास रहेगा. इस पूरे मास में अपने धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयासों से व्यक्ति अपनी भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करता है. भाद्रशुक्ल पूर्णिमा से पितरों का दिन प्रारंभ हो जाता है. मनुस्मृति में कहा गया है मनुष्यों के एक मास के बराबर पितरों का एक अहोरात्र (दिन-रात) होता है. एक मास में दो पक्ष होते हैं. मनुष्यों का कृष्णपक्ष पितरों के कर्म का दिन और शुक्ल पक्ष पितरों के सोने की रात होता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितृ तर्पण, पितृ श्राद्ध करने का विधान व महिमा वेदों में वर्णित है. ऐसा करने से पितरों को प्रतिदिन भोजन-पानी मिल जाता है. आइए जानते है ज्योर्तिविद अजय कुमार मिश्र के अनुसार…
पितृपक्ष में तर्पण श्राद्ध करने से पुत्र आयु, आरोग्य, अतुल, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पितृपक्ष माना जाता है. इस अवधि में गया श्राद्ध एवं अन्य तीर्थ स्थानों पर अपने पूर्वजों, मृत पितृगणों के नाम विशेष रूप से श्राद्ध की जाती है. इसका महत्व पुराणों में भी वर्णित है. हालांकि इस वर्ष कोविड-19 को लेकर इन तीर्थ स्थलों पर तमाम कर्मकांड स्थगित हैं. अत: यथासंभव घर पर ही इसे करें. विशेष है कि इस वर्ष दो आश्विन मास पड़ रहे हैं, जो ‘मलमास या अधिमास’ कहलाते हैं. पुराणों में रोचक कथा है. भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्रमास के लिए एक देवता निर्धारित किये. चूंकि अधिकमास सूर्य और चंद्रमास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ, तो इस अतिरिक्त माह का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार न हुआ. ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे ही इस मास का भार अपने ऊपर लें. भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह मलमास के साथ पुरुषोत्तम मास भी बन गया.
हिंदू धर्म अनुसार, प्रत्येक जीव पंच महाभूतों से मिल कर बना है. इनमें जल, अग्नि, आकाश, वायु, और पृथ्वी सम्मिलित हैं. अधिक मास के समस्त धार्मिक कृत्यों, चिंतन, मनन, ध्यान, योग आदि के माध्यम से साधक अपने शरीर में समाहित इन पांचों तत्वों में संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है. इस पूरे मास में धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है. अधिमास में पूजा-पाठ, भजन, कीर्तन को अपनी दिनचर्या बनाना चाहिए. देवी भागवत, भागवत पुराण, विष्णु पुराण कथा का श्रवण विशेष फलदायी है. अधिमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसलिए पुरुषोत्तम मास के खास मंत्र से जातक के पापों का शमन होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है-
गोवर्धन धरं वन्दे गोपालं गोप रूपिणम।
गोकुलोत्सवमीशान गोविन्दं गोपि का प्रियम॥
सनातन धर्म कैलेंडर में प्रत्येक तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जो अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहलाता है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. संपूर्ण भारत में इस मास में लोग पूजा-पाठ, भगवतभक्ति, व्रत-उपवास जप और योग आदि धार्मिक कार्यों में संलग्न रहते हैं.
नव संवत्सर 2077 (वर्ष 2020) में इस बार तीन साल बाद एक अधिक मास होगा, जो मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जायेगा. यह संवत्सर 12 की बजाय 13 महीने का होगा, जिसमें अश्विनमास के दो महीने होंगे. आश्विन मास 3 सितंबर से 31 अक्तूबर तक रहेगा. इसकी अवधि करीब दो महीने की होगी. इन दो माह में बीच की अवधि वाला एक माह अधिमास रहेगा. पितृमोक्ष अमावस्या के बाद 18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक पुरुषोत्तम मास रहेगा. 17 अक्तूबर से शारदीप नवरात्र शुरू हो जायेगा.
हिंदू धर्म में अधिक मास के दौरान सभी पवित्र कर्म वर्जित माने गये हैं. मान्यता है कि अतिरिक्त होने के कारण यह मास मलिन होता है, इसलिए इसका नाम मलमास पड़ गया. इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट व धार्मिक संस्कार, जैसे- नामकरण, यज्ञोपवित्र विवाह, गृह प्रवेश, नयी वस्तुओं की खरीद आदि नहीं किये जाते. चूंकि अधिक मास के अधिपति भगवान विष्णु माने जाते हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है, इसीलिए अधिमास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं.
इस वर्ष 2 सितंबर, 2020, प्रात़: 9:33 बजे के बाद से पितृपक्ष प्रारंभ हो रहा है, जो 17 सितंबर, 2020 तक रहेगा. 17 सितंबर को पितृ का विसर्जन किया जायेगा.
News Posted by: Radheshyam Kushwaha