Pitru Paksha 2020 Shradh Vidhi, Shradh ka samay, shradh ke niyam, Pitra Dosh: श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो गया है. श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है. आज श्राद्ध करने का तीसरा दिन है. पितृपक्ष 17 सितंबर को समाप्त होगा. 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा भी है. वहीं, इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध होता है. इसके बाद एकम, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या को श्राद्ध आता है. इन तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है.
पितृ पक्ष में पिंडदान का भी महत्व है. श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज कराया जाता है. मान्यता के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर बने पिंडों को पितरों को अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है. इसके बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है. कहा जाता है कि इन दिनों में आपके पूर्वज किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं इसलिए घर आए किसी भी व्यक्ति का निरादर नहीं करना चाहिए.
वैदिक धर्म के अनुसार पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर ही किया जाना चाहिए. मान्यता है कि पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करना श्रेष्ठ है. वहीं यदि अकाल मृत्यु होने पर श्राद्ध चतुर्दशी के दिन श्राद्ध किया जाना चाहिए. साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी के दिन किया जाता है. इसके अतिरिक्त जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाना चाहिए.
पितृपक्ष में पितृतर्पण एवं श्राद्ध करने का विधान है. श्राद्ध करने के दौरान सर्वप्रथम हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें. इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।” इसके बाद पितरों का आह्वान इस मंत्र से करना चाहिए.
पितृ पक्ष में पिंडदान का भी बेहद महत्व होता है, इसमें लोग चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद मिलाकर बने पिंडों को पितरों को अर्पित करते हैं. इसके साथ ही काला तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है.
पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) -1 सितंबर 2020
दूसरा श्राद्ध – 2 सितंबर
तीसरा श्राद्ध – 3 सितंबर
चौथा श्राद्ध – 4 सितंबर
पांचवा श्राद्ध – 5 सितंबर
छठा श्राद्ध – 6 सितंबर
सांतवा श्राद्ध – 7 सितंबर
आंठवा श्राद्ध – 8 सितंबर
नवां श्राद्ध – 9 सितंबर
दसवां श्राद्ध – 10 सितंबर
ग्यारहवां श्राद्ध – 11 सितंबर
बारहवां श्राद्ध – 12 सितंबर
तेरहवां श्राद्ध – 13 सितंबर
चौदहवां श्राद्ध – 14 सितंबर
पंद्रहवां श्राद्ध – 15 सितंबर
सौलवां श्राद्ध – 16 सितंबर
सत्रहवां श्राद्ध – 17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या)