Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष चल रहा है इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध कराने के महत्व के बारे में कहा गया है कि अपने पूर्वजों को तर्पण मिल सके इसके लिए उनके नाम का पिंडदान करने का नियम है. इस समय यानी पितृ पक्ष में कई कार्यों को करने से रोका जाता है. जबकि इसते पीछे क्या कारण है कोई स्पष्ट तौर पर नहीं कहते. माना जाता है कि जो वर्षों से चला आ रहा है लोग वहीं करते हैं इस लिए पितृ पक्ष या श्राद्ध कर्म में नई वस्तुएं नहीं खरीदी जाती है.
पूर्वजों की माने तो श्राद्ध पक्ष में कुछ भी नई वस्तुएं नहीं खरीदने के 15- 16 दिन बाद मुझाया सा दिखने लगता है. ऐसे ही विवाह से जुड़े लोग, जौहरी, कार बाजार, निर्माण कारोबार आदि में सब लोग अक्सर खाली बैठे नजर आते हैं, हालांकि देखा जाए तो श्राद्ध पक्ष एक श्रद्धा पक्ष है. जिसमें पितृ अपनी संतति से मिलने उनके घर आते हैं. अपने परिवार की उन्नति देखकर वे काफी प्रसन्न होंगे न कि नाराज होते है. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि पितृ पक्ष में नई चीजें खरीदने से पूर्वज नाराज हो हैं या आशीर्वाद नहीं देते.
जानकारी के मुताबिक, ऐसी धारणा का शास्त्रों में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है. जबकि सोंचने वाली बात है कि कोई अपना कारोबार लगातार 16 दिन कैसे बंद रख सकता है. इन दिनों पूर्वजों की स्मृति में अच्छे कर्म करने चाहिए जिससे उन्हें खुशी मिले. ऐसे समय आप गरीबों की सेवा, सामाजिक और धार्मिक कार्य कर सकते हैं. लंगर लगाएं, पेड़ लगाएं, दवाएं बांटें. इन दिनों को भी अन्य दिनों की तरह शुभ मानना चाहिए.
हलांकि गलत कार्य करने से बचना चाहिए क्योंकि नवरात्रों की तरह ही यह पखवाड़ा भी एक अनुशासन पर्व है. यदि आप जेवर, विवाह, गृहपयोगी, वस्तुएं, कपड़े आदि इस पक्ष में खरीदना चाहते हैं तो इन शुभ मुहूतों में भी खरीद सकते हैं. 13, 17, 24, 25 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग है. यह बेहद ही शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन आप खरीदारी कर सकते हैं. 17 सितंबर 2022 को सिद्धि योग बन रहा ऐसे में आप इस शुभ दिन को खरीदारी कर सकते हैं. 13 सितंबर 2022 को वृद्धि योग है जबकि 13 और 17 सितंबर 2022 को अमृत सिद्धि योग 16 सितंबर 2022 को रवियोग है.
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पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से तीन तरह के ऋण से मुक्ति मिलती है-देवऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण. इसका वर्णन-गरूड़ पुराण, अग्निपुराण, मत्स्य पुराण, वायुपुराण में आया है. कहा गया है कि तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होकर अपनी कृपा बरसाती है. परिवार और परिजन की हर तरह की बाधा, परिवार में अशांति, आकस्मिक घटनाएं, दुःस्वप्न, पूजा में व्यवधान, बालकों में बीमारी इस बात की प्रमाण है कि पितरों की अतृप्त आत्मा भटक रही है और उनकी मुक्ति आवश्यक है. इसलिए पितृपक्ष में पितरों को तर्पण तथा मुख्य तिथियों में श्राद्ध करना चाहिए.