क्यों मनाते हैं पोंगल का त्योहार, यहां से जानें

Pongal 2025: चार दिवसीय पोंगल उत्सव 14 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है. जबकि 17 जनवरी को इस पर्व का समापन होगा. यह त्योहार नई फसल के आगमन और सूर्य देव की आराधना के रूप में मनाया जाता है.

By Shaurya Punj | January 8, 2025 12:13 PM
an image

Pongal 2025: पोंगल दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस अवसर पर उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. पोंगल फसल के मौसम के आगमन का प्रतीक है. इस दिन लोग गायों और बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे आभूषणों से सजाते हैं. यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन लोग समृद्ध फसल की खुशी को धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं.

क्यों मनाया जाता है पोंगल का त्योहार

पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. यह त्योहार नई फसल के स्वागत के रूप में मनाया जाता है और इसे तमिलनाडु में नए साल के आगमन के अवसर पर मनाया जाता है. वर्ष 2025 में पोंगल का उत्सव 14 से 17 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इस समय उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जिसे दक्षिण भारत में ‘पोंगल’ के रूप में मनाने की परंपरा है.

पोंगल मनाने का इतिहास

पोंगल की उत्पत्ति प्राचीन तमिल संस्कृति में सूर्य देवता सूर्य को धन्यवाद देने के प्रतीक के रूप में हुई थी। इस आयोजन की उत्पत्ति ग्रामीण जीवन शैली से हुई है, जिसमें किसान भरपूर फसल के लिए प्रकृति, अपने पशुओं और सूर्य का धन्यवाद करते हैं। किंवदंती के अनुसार, भगवान कृष्ण ने किसानों से सफल फसल सुनिश्चित करने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आग्रह किया था। समय के साथ, यह प्रथा पोंगल त्यौहार में बदल गई, जो न केवल कृषि संपदा का जश्न मनाता है बल्कि ग्रामीण भारत में सामुदायिक एकजुटता का भी प्रतिनिधित्व करता है।

इस दिन मनाया जाएगा पोंगल का त्योहार, जानें मकर संक्रांति से क्या है संबंध

पोंगल का उत्सव किस प्रकार मनाया जाता है?

  • पोंगल पर्व मुख्यतः सूर्य देव की आराधना के चारों ओर घूमता है.
  • पहले दिन, लोग प्रातःकाल स्नान करके नए वस्त्र धारण करते हैं.
  • नए मिट्टी के बर्तनों में ताजे चावल, दूध, गुड़ और काजू से विशेष पोंगल व्यंजन तैयार किए जाते हैं. इन व्यंजनों को सूर्य देव को समर्पित किया जाता है.
Exit mobile version