उत्तर भारत के मकर संक्रांति त्योहार को ही दक्षिण भारत में ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है. पोंगल का तमिल में अर्थ ‘विप्लव’ होता है. जो त्योहार पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित है. यह त्योहार गोवर्धन पूजा, दीपावली और मकर संक्रांति का मिला-जुला रूप है. पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है.
इस बार पोंगल 14 से 17 जनवरी (चार दिवसीय) तक मनाया जायेगा. पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन मट्टू और चौथे दिन कन्या पोंगल होगा. पहले दिन भोगी पोंगल में इन्द्रदेव की पूजा, दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा, तीसरे दिन को मट्टू अर्थात नंदी या बैल की पूजा और चौथे दिन कन्या की पूजा होती है, जो काली मंदिर में बड़े धूमधाम से की जाती है.
तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के निवासियों का यह महत्वपूर्ण त्योहार है. इस अवसर पर घरों में विशेष तरह के पकवान बनाये जाते हैं. दक्षिण भारतीयों की मान्यता है कि पोंगल से नये वर्ष की शुरुआत होती है. इस दिन विशेष तौर पर खीर बनाई जाती है. इस दिन मिठाई और मसालेदार पोंगल व्यंजन तैयार करते हैं. चावल, दूध, घी, शकर से भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं.
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यह पर्व देश के अलावा विदेशों में रहनेवाले दक्षिण भारतीय धूमधाम से मनाते हैं. यह पर्व समृद्धि का है. इसमें बारिश, धूप, फल आदि की अाराधना की जाती है. इस दिन परिवार के लोग नये कपड़े पहनते हैं. पूरा परिवार एक साथ पूजा करता है. समाज के लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं. पायसम वाड़ा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किये जाते हैं. नया चावल और नये गुड़ से पोंगल खीर बनायी जाती है. सूर्य देव को ईंख, पीला केला, हल्दी, अदरक जैसे नये फल आदि अर्पित किये जाते हैं.
Posted by: Pritish sahay