Bhaum Pradosh Vrat Katha: भौम प्रदोष व्रत आज है. भौम प्रदोष व्रत 22 जून 2021 दिन मंगलवार यानि आज है. हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने पर भगवान शिव और हनुमान जी अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है. मानी जाती है कि प्रदोष व्रत के दौरान यह कथा नहीं पढ़ने या सुनने पर शुभ फल नहीं मिलता है. इसलिए अगर आप भौम प्रदोष व्रत कर रहे है तो यह कथा जरूर पढ़े…
भौम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थीं, उसका एक बेटा था. वह वृद्ध महिला हनुमान जी की भक्त थीं. वह हमेशा हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करती थी. महिला मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी. एक बार हनुमान जी ने वृद्ध महिला की परीक्षा लेनी चाही.
वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर पहुंचे. उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है. जो मेरा इच्छा को पूर्ण कर सकता है. जब उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई. उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं. इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं. थोड़ी से जमीन लीप दें. इस पर महिला ने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी.
हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया. तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ. उसकी पीठ पर आग जला दो. उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे. हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्ध महिला परेशान हो गई. वह करे भी तो क्या करे. उसने हनुमान जी को वचन दिया था. उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया.
हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा दी. वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई. कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया. वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है. बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले. इस पर वृद्ध महिला ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें. लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे. तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा. वह अपनी मां के पास आ गया. अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थीं. वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई. तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया.
Posted by: Radheshyam Kushwaha