20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Pradosh Vrat April 2024 Date: अप्रैल में कब है प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Pradosh Vrat April 2024 Date: प्रदोष व्रत का त्योहार शिवजी को समर्पित है. आइए जानें इस अप्रैल माह में कब है प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat April 2024 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत हर महीने में दो बार किया जाता है – एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में. इस बार चैत्र माह (अप्रैल) के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 21 अप्रैल 2024 (शनिवार) को पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल रात 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 22 अप्रैल को मध्य रात्रि 01 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए व्रत 21 अप्रैल को ही रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत तिथि: 21 अप्रैल 2024 (शनिवार)
प्रदोष काल: शाम 06:33 बजे से 08:20 बजे तक
त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 20 अप्रैल 2024 (शुक्रवार), रात 10:41 बजे
त्रयोदशी तिथि का समापन: 22 अप्रैल 2024 (रविवार), मध्य रात्रि 01:11 बजे

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. यह व्रत भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार को किया जाता है. प्रदोष का अर्थ है “दोपहर के समय” या “संध्या का समय”.ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विश्राम करते हैं. प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

प्रदोष व्रत के कई पौराणिक महत्व हैं. एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव से त्रिदेव बनने का वरदान प्राप्त किया था. एक अन्य कथा के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से रावण को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था.

मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और कुंडली में मंगल दोष कम होता है.

मीन राशि में बुध करेंगे मार्गी, इन राशियों के करियर और जीवन में आएगी परेशानी

पूजा विधि

प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
घर या मंदिर की सफाई करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें.
एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
भगवान शिव को चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं.
माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
घी का दीपक जलाकर आरती करें.
शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें.
भगवान शिव और माता पार्वती को फल, मिठाई और भोग अर्पित करें.
प्रसाद का वितरण करें.
व्रत का समापन रात्रि में करें.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें